मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश के बाद लातेहार के महुआडांड़ स्थित ग्वालखाड़ गांव की वृद्ध और लाचार महिला लालो कारवाईन को आखिरकार वृद्धा पेंशन का भुगतान कर दिया गया है. अब हर महीने उन्हें बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंस के माध्यम से पेंशन का भुगतान किया जाएगा. इसके अलावा लालो कारवाईन समेत गांव के सभी लोगों को सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ने और गांव को मूलभूत सुविधाओं से आच्छादित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जानकारी मिली थी कि वृद्ध महिला लालो कारवाईन वृद्धा पेंशन के लिए 5 दिनों से प्रज्ञा केंद्र चक्कर लगा रही है. बायोमैट्रिक काम नहीं करने के कारण पेंशन का भुगतान नहीं हो पा रहा है. दूरस्त गांव से उसे टोकरी की बहंगी में उठाकर कर पिछले पांच दिनों से प्रज्ञा केंद्र लाया जा रहा है, क्योंकि वह चलने में असमर्थ हैं. जिसके बाद मुख्यमंत्री ने लातेहार डीसी को मामले की जांच कर लालो कारवाईन को पेंशन और उनके परिवार को अन्य जरूरी योजनाओं से जोड़ने का आदेश दिया. सीएन ने यह भी आदेश दिया कि ग्वालखाड़ गांव को मूलभूत सुविधाओं से आच्छादित करने और योजनाओं के अधिकार से कोई वंचित न रहे, यह सुनिश्चित किया जाए.
वृद्धा पेंशन के लिए बहंगी में लेकर बैंक आए पति-पुत्र
बता दें कि लातेहार के महुआडांड़ प्रखंड की चंपा पंचायत का ग्वालखाड़ गांव प्रखंड मुख्यालय से सात किलोमीटर दूर है. बुधवार को 64 वर्षीय लालो कारवाईन को वृद्धा पेंशन लेने के लिए उसके पति देवा कोरवा और बेटे सुंदरलाल कोरवा टोकरी की बहंगी में प्रखंड मुख्यालय लेकर पहुंचे. लालो बीमारी के कारण चलने में असमर्थ है. प्रखंड मुख्यालय के प्रज्ञा केंद्र में पहुंचने पर संचालक ने उन्हें बताया कि भारतीय स्टेट बैंक का सर्वर डाउन है. इस वजह से लालो को पेंशन नहीं मिल पायी. लालो के बेटे सुंदरलाल कोरवा ने बताया कि गांव तक जाने के लिए रास्ता नहीं है. चार या पांच महीने में एक बार वह अपनी मां को बहंगी में बैठा कर पेंशन निकालने के लिए महुआडांड़ लाते हैं.