रांची: उत्तर भारत की कलीसिया (सीएनआइ) की तीन दिवसीय बिशप्स काउंसिल बुधवार को मेपल वुड्स में संपन्न हो गया. डिप्टी मोडरेटर, बिशप पीके सामंतारॉय ने बताया कि काउंसिल में चर्च की उपलब्धियों व चुनौतियों पर चर्चा हुई.
अब इसके कार्यक्रमों में हर वर्ग की सहभागिता सुनिश्चित किया जाता है. युवाओं के विकास से जुड़े कई कार्यक्रम शुरू किये गये हैं. स्कूली बच्चों की शिक्षा में परिवार के साथ-साथ डायसिस व सिनोड भी अपनी भूमिका निभायेंगे. 20 युवाओं को दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी करायी जा रही है. युवाओं को राजनैतिक रूप से भी जागरूक किया जा रहा है. चर्च ऐसा युवा तैयार कर रहा है, जो कलीसिया व राष्ट्र निर्माण में सहभागी बनेंगे.
चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि कई स्वयंभू बिशप चर्च की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं. उनके द्वारा खुद को बिशप कहने से प्रशासन को मामलों के निबटारे में परेशानी हो रही है. चर्च के समक्ष अंतरकलीसियाई एकता और आदिवासी व दलित ईसाइयों से जुड़े कई मुद्दे हैं. जबलपुर के बिशप पीसी सिंह ने पास्तरीय सेवकाई में बिशपों की भूमिका विषय पर अपना पत्र प्रस्तुत किया. मेपल वुड्स व बिशप वेस्टकॉट नामकुम में हुई बैठक में विभिन्न राज्य के बिशप शामिल थे. अध्यक्षता मोडरेटर, बिशप पीपी मरांडी ने की.
ट्रैक रिकॉर्ड देख वोट करें : बातचीत के क्रम में बिशप सामंता रॉय ने कहा कि चर्च मूल्य आधारित राजनीति का पक्षधर है. हर ईसाई को अपने मताधिकार का प्रयोग अवश्य करना चाहिए. कैंडिटेट व पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड अवश्य देखें.
गुजरात में सुरक्षित हैं ईसाई : गुजरात के बिशप सिल्वानुस एस क्रिश्चियन ने बताया कि गोधरा दंगे के बाद गुजरात में कोई दंगा-फसाद नहीं हुआ है. अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं. वहां विकास के कई काम हुए हैं. एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि गुजरात में ईसाइयों को टार्गेट नहीं किया गया है. उत्पीड़न के इक्के-दुक्के मामले आये हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर निबटा लिया गया है.