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झारखंड का मशहूर फल है कटहल, किसान अपने पेड़ों का निरीक्षण करें, तना छेदक कीट से कटहल के पेड़ों को खतरा

रांची: कटहल झारखंड का एक मशहूर फल है़ इसके पेड़ झारखंड के विभिन्न जिलों में काफी संख्या में पाये जाते हैं. रांची, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, सिमडेगा, हजारीबाग, चतरा व लोहरदगा सहित संताल के इलाके में भरपूर मात्रा में कटहल होते हैं. एक अनुमान के अनुसार, राज्य की कुल दो हजार हेक्टेयर भूमि […]

रांची: कटहल झारखंड का एक मशहूर फल है़ इसके पेड़ झारखंड के विभिन्न जिलों में काफी संख्या में पाये जाते हैं. रांची, खूंटी, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, सिमडेगा, हजारीबाग, चतरा व लोहरदगा सहित संताल के इलाके में भरपूर मात्रा में कटहल होते हैं. एक अनुमान के अनुसार, राज्य की कुल दो हजार हेक्टेयर भूमि पर करीब 15 हजार टन कटहल सालाना पैदा होता है. पर इन दिनों एक कीट जिसे कृषि विज्ञानी तना छेदक (ट्रंक बोरर) बोलते हैं, कटहल के पेड़ों को सुखा दे रहे हैं. यह कीट कटहल के पेड़ के तने में छेद कर घुस जाता है. इससे तने के भीतर फंगस लग जाता है और धीरे-धीरे वह डाल सूख जाता है.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिसर, पलांडू (रांची) के फल विज्ञानी विकास दास के अनुसार, शुरुआती दौर में इस कीट का पता चल जाये, तो पेड़ को मरने से बचाया जा सकता है. इस वक्त नुवाक्रॉन दवा का घोल (10 मिली नुवाक्रॉन एक लीटर पानी में मिला कर) या पेट्रोल व केरोसिन के चार-पांच बूंद रूई में डाल कर इसे छेद में डाल दें तथा बाहर से गीली चिकनी मिट्टी भर दें. इससे कीट मर जायेगा. कीट के लगते ही इसे मार दें, नहीं तो पेड़ का सूखना तय है.श्री दास ने किसानों को सुझाव दिया है कि वह अपने कटहल के पेड़ का समय-समय पर निरीक्षण करें. तना छेदक से प्रभावित पेड़ की डाल पर घुन की तरह सफेद पाउडर लगा मिले, तो इसे खतरा मान लें.
बांग्लादेश का राष्ट्रीय फल है कटहल : कटहल हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश का राष्ट्रीय फल है. भारत में यह फल झारखंड के अलावा केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, यूपी, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल व उत्तरी-पूर्वी राज्यों में पाया जाता है. केरल में कटहल की 105 प्रजातियां चिह्नित की गयी हैं. झारखंड में भी कटहल की कई प्रजातियां हैं, पर अभी सबको चिह्नित नहीं किया गया है.
बहुपयोगी है कटहल : कटहल के लिए बनी वेबसाइट jackfruit365.com के अनुसार, कटहल मधुमेह पर नियंत्रण में सहायक है. वहीं सिडनी यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक कटहल में फाइबर अधिक पर प्रोटीन, कैलोरी व कार्बोहाइड्रेट कम होने से यह वजन घटाने में भी मददगार है. यह फल कच्चा व पका दोनों रूपों में स्वादिष्ट व लोकप्रिय है. सब्जी के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पटना परिसर में विकसित स्वर्ण पूर्ति तथा पके फल (कोवा) के लिए स्वर्ण मनोहर उन्नत प्रजातियां हैं.
कटहल का हलवा, जूस व शरबत
केरल में कटहल की खेती व इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जैकफ्रूट (कटहल) प्रमोशन काउंसिल का गठन किया गया है. वहां नाबार्ड के सहयोग से कई गैर सरकारी संस्थाएं कटहल की प्रोसेसिंग कर इससे जैम, अचार, चटनी, शरबत, हलवा व जूस सहित चिप्स व नट केक भी बनाती हैं. वहीं बिरयानी, डोसा, पूड़ी, समोसा, काठी रोल, उपमा, उत्तपम व इडली बनाने में भी कटहल का प्रयोग हो रहा है. केरल से कच्चा व प्रोसेस्ड कटहल मध्य पूर्व के देशों को निर्यात किया जाता है.
झारखंड में भी संभावना
केरल की तर्ज पर झारखंड में भी कटहल प्रोसेसिंग की भरपूर संभावना है. जानकारों के अनुसार, इसके लिए गैर सरकारी संस्थाओं या स्वतंत्र उद्यमियों को आगे अाना होगा. इधर, नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) ने रांची के नगड़ी में मटर का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया है. यहां भविष्य में कटहल की प्रोसेसिंग भी होगी.

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