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अपराध होने के पहले उसे रोकने के लिए कदम उठाये जायें
चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी को लेकर दायर जनहित याचिकाअों पर हुई सुनवाई, झारखंड हाइकोर्ट ने कहा रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी को लेकर दायर जनहित याचिकाअों पर सुनवाई करते हुए राज्य के गृह सचिव व डीजीपी को निर्देश जारी किया. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन […]
चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी को लेकर दायर जनहित याचिकाअों पर हुई सुनवाई, झारखंड हाइकोर्ट ने कहा
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने शुक्रवार को चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी को लेकर दायर जनहित याचिकाअों पर सुनवाई करते हुए राज्य के गृह सचिव व डीजीपी को निर्देश जारी किया. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य में सीआरपीसी की धारा -149,150 व 151 का सख्ती से अनुपालन कराने का निर्देश दिया.
साथ ही इस बात को अधिसूचित करने का निर्देश किया कि राज्य के सभी थानेदार सीआरपीसी की धारा -149,150 व 151 के प्रावधानों का सही तरीके से लागू कराना सुनिश्चित करेंगे. इसके बावजूद किसी थाना क्षेत्र की परिधि के अंदर वारदात होती है, तो इस बात की भी जांच की जाये कि वारदात रोकने के लिए थानेदार ने क्या कोई कदम उठाया था या नहीं. यदि वारदात रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया था, तो वैसे मामले में जांच कर संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाये.
खंडपीठ ने अोड़िशा का उदाहरण भी दिया. खंडपीठ ने सीआरपीसी के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी भी पुलिस स्टेशन के अंदर पुलिस का फर्ज होता है कि वह किसी भी अपराध को होने के पहले ही उसे रोके. उदाहरण के ताैर पर जैसे चिटफंड कंपनियां या अन्य कारोबारी अपना बोर्ड लगाते हैं. कार्यालय खोलते है. आकर्षक योजना शुरू कर लोगों को प्रलोभन देते हैं.
अखबारों में आकर्षक विज्ञापन देते हैं. लोगों से करोड़ों रुपये जमा कराते हैं आैर फरार हो जाते हैं. ये सभी कार्य संबंधित पुलिस स्टेशन की परिधि में ही होते हैं आैर थानेदार-पुलिसकर्मी देखते रहते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. इसे रोका जाना चाहिए. पुलिस को वारदात होने के पूर्व उसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाना होगा. खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए प्रार्थी को सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग आदि को रिट याचिका, नोटिस की प्रति तामिला कराने को कहा.
प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी संजय लकड़ा व अभिकर्ता संघ की अोर से जनहित याचिका दायर की गयी है. कोर्ट ने चिटफंड कंपनियों की धोखाधड़ी की जांच सीबीआइ को साैंप दी है. 213 मुकदमों को सीबीआइ को हैंड अोवर किया गया है. कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ पहले से ही चिटफंड कंपनियों की जांच कर रही है.
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