रांची: कोल इंडिया लिमिटेड के एग्जिक्यूटिव्स की ओर से आहूत तीन दिवसीय हड़ताल आज से शुरू हो गयी. परफॉरमेंस रिलेटेड पे (पीआरपी), कैरियर ग्रोथ की मांग को लेकर कोल माइंस ऑफिसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने यह हड़ताल बुलायी है.
हड़ताल का असर रांची के सीसीएल, सीएमपीडीआइ समेत धनबाद के बीसीसीएल, देवघर स्थित इसीएल में देखा जा रहा है. हड़ताल की वजह से कोयले का उत्पादन और डिस्पैच भी प्रभावित होने की सूचना है. बीसीसीएल में हड़ताल का सबसे ज्यादा असर देखा गया है. झारखंड में कंपनी की अनुषंगी इकाइयों में नौ हजार से ज्यादा एग्जिक्यूटिव्स हैं.
एसोसिएशन के आह्वान पर 19 हजार से अधिक कोल इंडिया के एग्जिक्यूटिव्स हड़ताल पर हैं. कंपनी प्रबंधन के साथ वार्ता विफल होने के बाद संघ ने हड़ताल की घोषणा की है. कोल इंडिया में 3.49 लाख कर्मी हैं, जिसमें से 19 हजार एग्जिक्यूटिव्स हैं, जो पीआरपी की मांग कर रहे हैं.
संघ की ओर से हड़ताल को सफल बताया गया है. चालू वित्तीय वर्ष के फरवरी 2014 में कंपनी को 0.71 मिलियन टन का उत्पादन का नुकसान वहन करना पड़ा है. कंपनी ने चालू वित्तीय वर्ष में कोयले का उत्पादन लक्ष्य 482 मिलियन टन तय किया है. कोल इंडिया प्रबंधन की ओर से 465 मिलियन टन कोयला उत्पादन होने की संभावना जतायी गयी है. सीएमओएआइ के महासचिव पीके सिंह ने हड़ताल को सफल बताया है. उन्होंने कहा है कि कोल इंडिया प्रबंधन की ओर से उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है. इससे पहले 2010, 2011 में कई बार हड़ताल पर जाने की सूचना कंपनी प्रबंधन को दी गयी थी.
सीएमडी ने वार्ता के लिए बुलाया : कोल इंडिया के सीएमडी एस नरसिंह राव ने हड़ताल समाप्त करने के लिए सीएमओएआइ के अध्यक्ष वीपी सिंह को बुलाया है. हड़ताली कर्मियों को आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही संघ की मांग पर कोयला मंत्रलय को अवगत करा दिया जायेगा.
एग्जिक्युटिव्स हड़ताल का असर नहीं : प्रबंधन : कोल इंडिया प्रबंधन ने कहा है कि एग्जिक्यूटिव्स की हड़ताल का गुरुवार को पहले दिन कोई असर नहीं पड़ा है. प्रबंधन के अनुसार कोल इंडिया की कंपनियों में आज सामान्य दिनों की तरह ही कामकाज हुआ. अधिकारी काम पर नियमित रूप से आये, पर उन्होंने अपना अटेंडेंस नहीं बनाया.