संगठन का माओवाद से कोई लेना-देना नहीं है : स्टेन स्वामी

विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन का मामला रांची : केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन को ‘माओवादी जनसंगठन’ घोषित करने के विरोध में आंदोलन के संस्थापक सदस्य फादर स्टेन स्वामी ने कहा है कि विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन कोई एनजीओ नहीं बल्कि एक व्यापक आंदोलन है़ जब लोगों ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 27, 2017 1:19 AM
विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन का मामला
रांची : केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन को ‘माओवादी जनसंगठन’ घोषित करने के विरोध में आंदोलन के संस्थापक सदस्य फादर स्टेन स्वामी ने कहा है कि विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन कोई एनजीओ नहीं बल्कि एक व्यापक आंदोलन है़
जब लोगों ने देखा कि सरकार उनके विकास के नाम पर निजी कंपनियों के साथ समझौते कर उनकी जमीनें छीन कर उन कंपनियों के हवाले कर रही है, तब विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन ने 2005 में सूचना के अधिकार के तहत ऐसे 74 समझौतों की जानकारी हासिल की व इसे प्रकाशित किया़ लोगों का प्रतिरोध उभरने लगा और अधिकतर उद्योगपतियों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा़ आदिवासियों व मूलवासियों के विस्थापन के विरुद्ध व्यापक आंदोलन व प्रतिरोध ही शासक वर्ग केे गुस्से का मूल कारण है़ जो कोई भी इस प्रतिरोध में शामिल है, उसे नक्सली बताया जाता है़
उन्होंने कहा कि विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन व अन्य संगठनों ने जेल मे बंद आदिवासियों को जमानत पर छुड़ाने का प्रयास किया़ एक संस्कृति कर्मी को हत्या के झूठे आरोप के मामले में झारखंड उच्च न्यायालय से बाइज्जत बरी कराया़ 2011 में आपरेशन ग्रीन हंट में पुलिस व अर्धसैनिक बलों द्वारा ‘एनकाउंटर किलिंग’ पर रिपोर्ट तैयार की व प्रकाशित कराया़ 2012 और 2014 के बीच झारखंड में 514 निर्दोष नौजवानों के नक्सलाइट बता कर आत्मसमर्पण कराया गया़
संगठन सीएनटी व एसपीटी में प्रस्तावित संशोधन तथा सरकार द्वारा प्रस्तावित स्थानीयता नीति का भी पुरजोर विरोध करता है़ इस आंदोलन का माओवाद से कुछ भी लेना-देना नहीं है और न ही यह उसका जन संगठन है़

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