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देश के सभी परीक्षा बोर्ड में एक ही तरह मार्किंग का पैटर्न

फैसला. सीबीएसइ बोर्ड में अब जितना लिखेंगे, उतना ही मिलेगा अंक रांची : देश के सभी परीक्षा बोर्ड में मार्किंग का पैटर्न एक समान होगा. वर्तमान में सीबीएसइ, आइसीएसइ समेत देश के विभिन्न राज्यों की परीक्षा बोर्ड के उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन का पैटर्न अलग-अलग है. इस कारण विद्यार्थियों के प्राप्तांक में काफी अंतर रहता है. देश […]

फैसला. सीबीएसइ बोर्ड में अब जितना लिखेंगे, उतना ही मिलेगा अंक
रांची : देश के सभी परीक्षा बोर्ड में मार्किंग का पैटर्न एक समान होगा. वर्तमान में सीबीएसइ, आइसीएसइ समेत देश के विभिन्न राज्यों की परीक्षा बोर्ड के उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन का पैटर्न अलग-अलग है.
इस कारण विद्यार्थियों के प्राप्तांक में काफी अंतर रहता है. देश में मॉडरेशन पॉलिसी इन इग्जामिनेशन विषय पर देश के सभी स्टेट बोर्ड के अध्यक्ष की बैठक केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग के सचिव अनिल स्वरूप की अध्यक्षता में हुई. बैठक में सभी स्टेट बोर्ड के अध्यक्षों ने अपने-अपने राज्य में प्रभावी मार्किंग पैटर्न के बारे में बताया.
जिसमें सीबीएसई, यूपी, तमिलनाडु, केरल व छत्तीसगढ़ बोर्ड द्वारा रिजल्ट को बेहतर करने के लिए मॉडरेशन या ग्रेस मार्क्स देने की बात सामने आयी. सीबीएसइ की ओर से वर्ष 2017 की 12वीं की परीक्षा से ही ग्रेस मार्क्स समाप्त करने का निर्णय लिया गया है. बोर्ड द्वारा निर्णय लिये जाने से अब विद्यार्थियों को अंक में दस से 20 अंक तक का लाभ नहीं मिलेगा. अब सीबीएसइ के विद्यार्थियों के उतना ही अंक मिलेगा, जितना उन्होंने कॉपी में लिखा है. बोर्ड के विद्यार्थियों को अब अतिरिक्त मार्क्स के तौर पर अंक नहीं दिया जायेगा. झारखंड की ओर से बैठक में झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद सिंह ने भाग लिया.
जैक अध्यक्ष ने किया झारखंड का प्रतिनिधित्व : बैठक में झारखंड की ओर से झारखंड एकेडमिक काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद सिंह ने भाग लिया. जैक अध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने बैठक में प्राप्तांक की असमानता की बात उठायी. उन्होंने कहा कि झारखंड बोर्ड व सीबीएसइ के समान प्रतिभा वाले बच्चों के अंक में काफी अंतर रहता है. झारखंड बोर्ड के बच्चे जहां 70 फीसदी अंक नहीं ला पाते हैं, वहीं सीबीएसइ बोर्ड के बच्चों को 90 फीसदी तक अंक मिल जाता है.
झारखंड में रिजल्ट बेहतर करने के लिए ग्रेस मार्क्स देने का कोई प्रावधान नहीं है. देश के सभी बोर्ड का मार्किंग पैटर्न एक समान किया जाये, ताकि रिजल्ट में एकरूपता हो. इससे प्राप्तांक के आधार पर होनेवाले नामांकन में विद्यार्थी को परेशानी नहीं होगी. देश के सभी बोर्ड के विद्यार्थी को एक समान अवसर मिल सकेगा. मॉडरेशन मार्क्स के कारण ही दिल्ली व अन्य विवि में नामांकन का मेधा अंक 100 फीसदी तक चला जाता था. इसमें झारखंड, बिहार जैसे राज्य के बच्चे पिछड़ जाते थे.
पास करने के लिए मिलेगा ग्रेस अंक
अब रिजल्ट बेहतर करने के लिए ग्रेस मार्क्स नहीं दिया जायेगा. वैसे विद्यार्थी जो परीक्षा में फेल कर रहे हों और ग्रेस मार्क्स देने से पास हो जा रहे हों, तो उन्हें पूर्व की भांति ग्रेस अंक दिया जायेगा. पर इसका उल्लेख परीक्षार्थी के अंक पत्र पर कर दिया जायेगा. ताकि यह पता चल सके कि विद्यार्थी को ग्रेस अंक दिया गया है.
प्रोयोगिक परीक्षा के अंक में भी होगी एकरूपता
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी बोर्ड द्वारा ली जानेवाली 10वीं व 12वीं में प्रायोगिक परीक्षा के अंक में भी एकरूपता लायी जायेगी. सामान्यत: किसी विषय के कुल अंक में से 30 फीसदी अंक प्रायोगिक परीक्षा के तौर पर लेने का प्रावधान है. वहीं कुछ बोर्ड में यह 30 फीसदी से अधिक है. इस कारण भी परीक्षार्थियों के प्राप्तांक में अंतर आ जाता है. बैठक में इसे भी एक समान करने पर सहमति जतायी गयी.
एनसीइआरटी की ही चलेगी किताबें
सभी बोर्ड में एनसीइआरटी की पुस्तक से ही पढ़ाई कराने पर विचार किया गया है. सभी बोर्ड के अध्यक्षों ने इस पर सहमति जतायी कि चरणबद्ध तरीके से एनसीइआरटी की किताब से पढ़ाई को अनिवार्य कर दिया जाये. जिससे सभी बोर्ड की पढ़ाई में एकरूपता हो.

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