Advertisement
चाहिए 40 पर एक शिक्षक लेकिन हैं 193 छात्र पर एक
करोड़ों खर्च, फिर भी उच्च शिक्षा बदहाल. ऐसे में कैसे बने पहचान राष्ट्रीय स्तर पर जारी सर्वे में झारखंड के विवि, कॉलेज व संस्थान टॉप सौ में अपना स्थान नहीं बना पाये, जबकि राज्य के पांचों विवि (रांची विवि, विनोबा भावे विवि, सिदो-कान्हु मुरमू विवि, कोल्हान विवि व नीलांबर-पीतांबर विवि) में वेतन, पेंशन व आधारभूत […]
करोड़ों खर्च, फिर भी उच्च शिक्षा बदहाल. ऐसे में कैसे बने पहचान
राष्ट्रीय स्तर पर जारी सर्वे में झारखंड के विवि, कॉलेज व संस्थान टॉप सौ में अपना स्थान नहीं बना पाये, जबकि राज्य के पांचों विवि (रांची विवि, विनोबा भावे विवि, सिदो-कान्हु मुरमू विवि, कोल्हान विवि व नीलांबर-पीतांबर विवि) में वेतन, पेंशन व आधारभूत संरचना पर राज्य तथा केंद्र सरकार द्वारा प्रति वर्ष लगभग 550 करोड़ खर्च किये जा रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2016-17 में ही विवि को इस मद में 545 करोड़ 82 लाख रुपये दिये गये. प्रभात खबर ने राष्ट्रीय स्तर पर रैंकिंग जारी होने के बाद पड़ताल किया कि झारखंड के विवि व कॉलेजों की स्थिति क्या है, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आये. राज्य गठन के 17 वर्ष में शिक्षकों की अब तक मात्र एक बार नियुक्ति वर्ष 2008 में हुई है.
सरकार के लाख प्रयास के बाद भी नियुक्ति का रास्ता साफ नहीं हो रहा है. इस कारण अब विभाग ने कॉलेजों में घंटी आधारित शिक्षक रखने का निर्णय लिया है.
रांची : राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के अंगीभूत व पीजी विभागों में स्नातक व स्नातकोत्तर विषयों में लगभग 2.5 लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं, लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं. व्याख्याता से लेकर रीडर व प्रोफेसर के पद रिक्त हैं. विवि में प्रोफेसर के शत प्रतिशत पद रिक्त हैं, जबकि कुल स्वीकृत 2433 पद में से 1139 पद पर शिक्षक नहीं हैं. यहां लगभग 193 विद्यार्थी पर एक शिक्षक कार्यरत हैं. यूजीसी के मुताबिक एक शिक्षक पर लगभग 40 विद्यार्थी होने चाहिए. शिक्षकों की कमी के कारण पठन-पाठन बाधित हो रहा है. वर्ष 2008 के बाद से शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं हुई है. विवि में 1976 के बाद से विभिन्न विषयों में शिक्षकों के पर्याप्त पद स्वीकृत नहीं हुए हैं. राज्य व केंद्र को मिला कर इन विश्वविद्यालयों में सालाना लगभग 545 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं.
वर्तमान में राज्य के पांचों विवि में शिक्षकों के कुल 2433 पद स्वीकृत हैं. इनमें 1294 कार्यरत हैं, जबकि 1139 पद रिक्त हैं (कोल्हान के प्रोफेसर व रीडर छोड़ कर). इस तरह लगभग 49 फीसदी पद रिक्त हैं. वर्ष 2008 में झारखंड लोक सेवा आयोग के माध्यम से नियुक्ति हुई थी. उसके बाद से अब तक नियुक्ति नहीं हो सकी है. सामान्य विवि में रांची विवि व सिदो-कान्हू मुरमू विवि दुमका के बाद वर्ष 1992 में विनोबा भावे विवि हजारीबाग की स्थापना की गयी. इसके बाद वर्ष 2009 में पुन: रांची विवि को और दो टुकड़ों में बांटा गया.
इसमें चाईबासा में कोल्हान विवि तथा पलामू में नीलांबर-पीतांबर विवि की स्थापना की गयी. अब सरकार की ओर से विनोबा भावे विवि को बांट कर धनबाद में कोयलांचल (विनोद बिहारी विवि) विवि खोलने की प्रक्रिया चल रही है. रांची विवि में कुल 257, विनोबा भावे विवि में 233, सिदो-कान्हू मुरमू विवि में 245, नीलांबर पीतांबर विवि में 130 तथा कोल्हान विवि में 274 शिक्षकों के पद रिक्त हैं. पांचों विवि में लगभग 350 पद रीडर व प्रोफेसर के खाली हैं.
18 से 22 आयु वर्ग के प्रति एक लाख आबादी पर सात कॉलेज : राष्ट्रीय स्तर पर 18 से 22 आयु वर्ग के प्रति एक लाख जनसंख्या पर 25 कॉलेज हैं, जबकि झारखंड में एक लाख की आबादी पर सात कॉलेज हैं. राज्य में वर्तमान कॉलेजों की संख्या को चार गुणा बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है. राज्य में उच्च शिक्षा का ग्रास इनरॉलमेंट रेशियो भी काफी कम है. राष्ट्रीय स्तर पर 19.4 प्रतिशत है, जबकि झारखंड में वर्ष 2015-16 तक 15.4 प्रतिशत है. 2022 तक 32 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है. झारखंड की आबादी वर्तमान में लगभग तीन करोड़ 30 लाख की है.
यहां के विश्वविद्यालय राष्ट्रीय मानक पर खरे नहीं : झारखंड का एक भी विवि राष्ट्रीय सरकारी मानक पर नहीं हैं. सिर्फ डीम्ड विवि के रूप में बीआइटी मेसरा ही राष्ट्रीय मानक पर हैं, जबकि सामान्य विवि में शिक्षकों की कमी के कारण पठन-पाठन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.
विद्यार्थियों का कहना है कि जो शिक्षक हैं, उनमें से कई समय पर कक्षा नहीं लेते हैं. यूजीसी के मुताबिक विवि व कॉलेजों में 180 दिनों की पढ़ाई होनी चाहिए, लेकिन अमूमन 90 से 120 दिनों की भी पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पाती है. परीक्षा या फिर छुट्टी के कारण पढ़ाई बाधित होती रहती है. दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों के कॉलेजों की स्थिति भी खराब हैं. नक्सली आदि के डर व सही मॉनिटरिंग नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्रों के कई कॉलेज समय से पहले बंद हो जाते हैं या फिर शिक्षक समय पर नहीं पहुंचते हैं. कई शिक्षकों की पोस्टिंग ग्रामीण कॉलेज में है, लेकिन वे शहर से ही आना-जाना करते हैं. ग्रामीण इलाके में समुचित व्यवस्था नहीं रहने से शिक्षक कॉलेज के पास नहीं रूकते हैं.
कहां कितने कॉलेज
रांची विवि, सिदो-कान्हू मुरमू विवि, विनोबा भावे विवि, नीलांबर पीतांबर विवि व कोल्हान विवि में 68 अंगीभूत तथा लगभग 99 संबद्ध कॉलेज हैं. रांची विवि में 15 अंगीभूत कॉलेज व 19 संबद्ध कॉलेज हैं. इसी प्रकार कोल्हान विवि में 14 अंगीभूत व 12 संबद्ध कॉलेज हैं. नीलांबर-पीतांबर विवि में चार अंगीभूत व 15 संबद्ध कॉलेज हैं. सिदो-कान्हू मुरमू विवि में 13 अंगीभूत व 15 संबद्ध कॉलेज हैं. वहीं विनोबा भावे विवि में 22 अंगीभूत व 38 संबद्ध कॉलेज हैं. इसके अलावा सभी विवि में पीजी विभाग भी हैं.
रांची विवि के पूर्व कुलपति प्रो एए खान ने कहा कि कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है, जिसकी वजह से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी है. कॉलेजों में आधारभूत संरचना की भी कमी है. इस वजह से कॉलेजों में प्लेसमेंट के आंकड़े भी प्रभावित हो रहे हैं. वर्ष 2008 के बाद शिक्षक नियुक्ति भी नहीं हुई है. दिनों-दिन विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन शिक्षकों की संख्या आज तक नहीं बढ़ी है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement