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एक अधिकारी के बिहार के कार्यकाल का भी एसीआर लिखा

रांची : रांची के तत्कालीन उपायुक्त विनय चौबे ने दो बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों के 14 साल का विशेष वार्षिक गोपनीय चारित्री (स्पेशल एसीआर) लिखा है. इनमें में एक अधिकारी के बिहार के कार्यकाल का स्पेशल एसीआर भी रांची के ही उपायुक्त ने लिखा है. मामला पकड़ में आने के बाद अपर मुख्य सचिव योजना […]

रांची : रांची के तत्कालीन उपायुक्त विनय चौबे ने दो बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों के 14 साल का विशेष वार्षिक गोपनीय चारित्री (स्पेशल एसीआर) लिखा है. इनमें में एक अधिकारी के बिहार के कार्यकाल का स्पेशल एसीआर भी रांची के ही उपायुक्त ने लिखा है. मामला पकड़ में आने के बाद अपर मुख्य सचिव योजना सह वित्त विभाग ने उपायुक्त की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी की है. सहायक अभियंता मनोज कुमार को आइएएस में नियुक्त कराने के क्रम में भी तत्कालीन जल संसाधन सचिव ने बिहार के कार्यकाल का स्पेशल एसीआर लिख दिया था.
एक साथ 14 साल के लिए विशेष गोपनीय चारित्री लिखे जाने का मामला बाल विकास परियोजना पदाधिकारी मुनेश्वरी बाड़ा और पम्मी सिन्हा से संबंधित है. इन दोनों अधिकारियों की प्रोन्नति पर विचार करने के दौरान अपर मुख्य सचिव अमित खरे ने यह पाया कि इन दोनों अधिकारियों के लिए एक ही साथ 14 साल का स्पेशल एसीआर लिखा गया है.
मुनेश्वरी बाड़ा के लिए 15 नवंबर 2000 से 28 जुलाई 2014 तक का स्पेशल एसीआर लिखा गया है. वह राज्य विभाजन के समय बिहार में पदस्थापित थीं. 2004 में झारखंड में योगदान देने से पहले वह बिहार के विभिन्न जिलों में पदस्थापित रहीं. राज्य विभाजन के बाद वह गढ़वा,लातेहार सहित अन्य जिलों में पदस्थापित रहीं.
वर्ष 2014 में वह रांची जिले के सोनाहातू में पदस्थापित थीं. पम्मी सिन्हा भी राज्य के विभिन्न जिलों में पदस्थापित रही हैं. 2014 में वह नामकुम में पदस्थापित थीं. वर्ष 2014 में रांची में पदस्थापित तत्कालीन जिला समाज कल्याण पदाधिकारी नृपेंद्र नारायण शर्मा ने इन दोनों पदाधिकारियों के लिए 14 साल का स्पेशल एसीआर एक ही साथ लिख कर उपायुक्त को भेजा. इसे तत्कालीन उपायुक्त ने स्वीकार कर लिया. एक साथ 14 साल का स्पेशल एसीआर लिखे जाने के मामले में ‌अपर मुख्य सचिव योजना सह वित्त सचिव ने टिप्पणी करते हुए यह लिखा है कि उपायुक्त के रूप में पदस्थापित अधिकारी फिलहाल राज्य में किसी न किसी पद पर पदस्थापित हैं. एेसी स्थिति में किसी दूसरे पदाधिकारी द्वारा विशेष गोपनीय चारित्री लिखा जाना नियम सम्मत नहीं है.
मनोज कुमार के मामले में भी स्पेशल एसीआर लिखा गया था
सहाय अभियंता मनोज कुमार को आइएएस में नियुक्त कराने के क्रम में तत्कालीन जल संसाधन सचिव ने कार्मिक के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए स्पेशल एसीआर लिखा था. कार्मिक विभाग ने अपने ही निर्देशों के खिलाफ लिखे गये स्पेशल एसीआर को स्वीकार कर लिया था. साथ ही आइएएस में नियुक्ति के लिए अनुशंसा कर दी थी. लोक सेवा आयोग ने भी स्वीकार कर लिया था. इसके बाद मनोज कुमार की नियुक्ति आइएएस में हो गयी थी. हालांकि नियुक्ति का यह मामला अब भी कानूनी विवाद में उलझा हुआ है और एक मामला हाइकोर्ट में विचाराधीन है.

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