रांची: राज्य में प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में लगभग 45 लाख बच्चे नामांकित हैं, जबकि प्रतिवर्ष औसतन मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या लगभग 28 से 31 लाख के बीच रहती है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास विभाग ने इस पर चिंता जतायी है. बच्चाें के कम मध्याह्न भोजन खाने के कारण राष्ट्रीय स्तर पर राज्य की स्थिति दयनीय है.
राज्य में 24 में से 13 जिला ऐसे हैं, जहां मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या काफी कम है. 13 में छह जिलाें में कुल नामांकित बच्चे में से आधे बच्चे मध्याह्न भोजन नहीं खाते, जबकि सात जिलाें में औसतन 40 फीसदी बच्चे मध्याह्न भोजन नहीं खाते हैं.
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने इस संबंध में संबंधित जिलाें के जिला शिक्षा अधीक्षक को पत्र लिखा है. जिलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने को कहा गया है, ताकि मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो सके. इस बाबत जिला शिक्षा अधीक्षक को निर्देश भी जारी किया गया है. संबंधित जिला के जिला शिक्षा अधीक्षक को सभी प्रखंड के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी की बैठक बुला कर इसकी समीक्षा करने को कहा गया है. मध्याह्न भोजन को लेकर जिला व प्रखंड स्तर पर गठित स्टेयरिंग सह मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक निर्धारित अवधि में करने को कहा गया है. राज्य में सबसे खराब स्थिति गिरिडीह जिले की है. गिरिडीह में कक्षा एक से पांच कुल नामांकित बच्चों का मात्र 40.9 व कक्षा छह से आठ में 37.35 फीसदी बच्चे ही मध्याह्न भोजन खाते हैं, जबकि देवघर में कक्षा एक से पांच में 45.39 कक्षा छह से आठ में 45.79 प्रतिशत बच्चे ही मध्याह्न भोजन खाते हैं. गढ़वा, पाकुड़, साहेबगंज, जामताड़ा, गोड्डा, दुमका, पलामू, लातेहार व लोहरदगा जिला में मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों का प्रतिशत कम है.
विद्यालय चिह्नित करने को कहा गया
विभाग ने वैसे प्रखंड व विद्यालय को चिह्नित करने का निर्देश दिया है, जहां कम बच्चे मध्याह्न भोजन खा रहे हैं. संबंधित विद्यालयों के गुरुगोष्ठी में विशेष दिशा-निर्देश देने को कहा गया है. आवश्यकता होने पर ऐसे विद्यालयों के शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई भी करने को कहा गया है. सभी जिला शिक्षा अधीक्षक को निर्देश दिया गया है कि मध्याह्न भोजन की राशि सीधे सरस्वती वाहिनी संचालन समिति के खाते में डाले. किसी भी हाल में जिला के बचत खाता में कुकिंग कॉस्ट की राशि अनावश्यक जमा नहीं करने को कहा गया है. प्रथम तिमाही में कुल नामांकन के विरुद्ध मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या बढ़ाने को कहा गया है. मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चाें के प्रतिशत में वृद्धि नहीं होने पर अनुशासनिक कार्रवाई की जायेगी.
तीन माह में सुधार लाने का निर्देश दिया गया है
जिन जिलों में औसतन मध्याह्न भोजन खाने वाले बच्चों की संख्या कम है, उन जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षक को दिशा-निर्देश जारी किया गया है. तीन माह के अंदर इसमें सुधार लाने को कहा गया है. बच्चों के नामांकन को आधार से जोड़ फरजी बच्चों का नाम उपस्थिति पंजी से हटाने को कहा गया है. तीन माह में स्थिति में सुधार नहीं होने पर जिला के संबंधित पदाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
आराधना पटनायक, सचिव, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग