7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बीएयू को इस लायक बनाना है कि कंपनियां प्लेसमेंट के लिए खुद पहुंचें

रांची : बिरसा कृषि विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने कहा है कि इस विवि का नाम बड़ा है, लेकिन यहां के डिग्री/डिप्लोमा को देश स्तर पर पहचान दिलाने की अभी भी आवश्यकता है. बाजार में डिग्री/डिप्लोमा की कीमत बढ़ानी होगी, तभी व्यापक रूप से प्लेसमेंट संभव है. अभी कंपनियों को प्लेसमेंट के लिए […]

रांची : बिरसा कृषि विवि के कुलपति डॉ परविंदर कौशल ने कहा है कि इस विवि का नाम बड़ा है, लेकिन यहां के डिग्री/डिप्लोमा को देश स्तर पर पहचान दिलाने की अभी भी आवश्यकता है. बाजार में डिग्री/डिप्लोमा की कीमत बढ़ानी होगी, तभी व्यापक रूप से प्लेसमेंट संभव है.
अभी कंपनियों को प्लेसमेंट के लिए किसी तरह बुलाना पड़ रहा है. हमें इस विवि को इस मुकाम तक ले जाना है कि कंपनियां प्लेसमेंट के लिए खुद डिमांड भेजें अौर विवि में कैंपस इंटरव्यू कर विद्यार्थियों को ले जायें. कुलपति बुधवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे.
देश में हो रही दूसरी कृषि क्रांति में इस विवि की सहभागिता आवश्यक होगी. यहां हो रहे रिसर्च, बीज उत्पादन व योग्य वैज्ञानिक इस क्रांति में सहयोग करेंगे. यहां के किसानों को दक्ष करना आवश्यक है. इसके लिए विवि में शीघ्र ही स्किल डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना की जायेगी. केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से इसकी स्थापना कर यहां के किसानों को खेती, नयी तकनीक आदि का प्रशिक्षण दिया जायेगा. झारखंड में किसान काफी मेहनत करते हैं, जबकि 70 प्रतिशत किसान खेती के लिए वर्षा पर निर्भर हैं. विवि इन चीजों को ध्यान में रख कर नयी योजना पर काम करेगा. इस विवि में क्वालिटी एजुकेशन को बढ़ाना है, लेकिन शिक्षकों की कमी से यह महत्वपूर्ण कार्य भी प्रभावित हो गया है. शिक्षकों के लगभग 70 प्रतिशत पद रिक्त हैं. तीन माह के अंदर शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, तो विवि को काफी नुकसान होगा. वेटनरी कॉलेज तक की मान्यता वीसीआइ (वेटनरी काउंसिल अॉफ इंडिया) से खतरे में है. हालांकि विवि स्तर से प्रयास किये जा रहे हैं.
कुलपति डॉ कौशल ने कहा कि काम बहुत है, समय कम है. तीन वर्ष के कार्यकाल में बहुत काम करना है. केंद्र व राज्य के पास विवि के लिए पैसे की कमी नहीं है. विद्यार्थियों में पोटेंशियल है, लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिल रहे हैं. पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद भी जरूरी है.
झारखंड में लगभग 50 प्रतिशत फल आयात हो रहे हैं. इसे देखते हुए बागवानी के साथ-साथ फल की खेती पर विशेष ध्यान दिया जायेगा. विवि इस योजना पर कार्य कर रहा है, ताकि राज्य फल के मामले में भी आत्मनिर्भर हो. राज्य के छह जिलों में कॉलेज खोले जा रहे हैं, ताकि हर क्षेत्र में विद्यार्थियों को लाभ मिल सके. इनमें देवघर, गोड्डा व गढ़वा में एग्रीकल्चर, दुमका में डेयरी, गुमला में फिशरी अौर कांके में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग कॉलेज खोले गये हैं. इसी सत्र से इनमें नामांकन प्रक्रिया झारखंड संयुक्त प्रवेश परीक्षा पर्षद द्वारा करायी जायेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें