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स्टील, जिंक के अवशिष्ट से बनेगा कंक्रीट मेटेरियल

धनबाद.: अब स्टील एवं जिंक के अवशिष्ट (बचे हुए अवशेष) को विकसित कर कंक्रीट मेटेरियल बनाया जायेगा. यह सीमेंट का विकल्प बन सकता है. इसके लिए केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) एवं ब्रिटेन के ग्रीन विच यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक संयुक्त रूप से शोध कर रहे हैं. इसका पायलट प्रोजेक्ट प्लांट राजस्थान के उदयपुर […]

धनबाद.: अब स्टील एवं जिंक के अवशिष्ट (बचे हुए अवशेष) को विकसित कर कंक्रीट मेटेरियल बनाया जायेगा. यह सीमेंट का विकल्प बन सकता है. इसके लिए केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) एवं ब्रिटेन के ग्रीन विच यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक संयुक्त रूप से शोध कर रहे हैं. इसका पायलट प्रोजेक्ट प्लांट राजस्थान के उदयपुर में बनेगा. मिली जानकारी के अनुसार सिंफर एवं ग्रीन विच यूनिवर्सिटी ने इस प्रोजेक्ट के लिए संयुक्त रूप से करार किया है. इस प्रोजेक्ट पर सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह एवं ग्रीन विच यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रो. कॉलिन हिल्स ने मिल कर अंतिम रूप दिया है. नयी दिल्ली में एक संयुक्त कन्वेंशन भी हो चुका है.

सिंफर के पर्यावरण विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ राजशेखर सिंह को भारतीय दल का संयोजक बनाया गया है. जबकि उनका सहयोग सिंफर के डॉ सिद्धार्थ सिंह, डॉ आरएस चोलिया करेंगे. दोनों देशों के वैज्ञानिक इस मामले में लगातार शोध के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं अवशिष्ट को कार्बन युक्त कंक्रीट मेटेरियल में तब्दील किया जा सकता है. यह कंक्रीट सीमेंट से भी मजबूत है. इसका उपयोग भवन निर्माण के साथ-साथ सड़क निर्माण में भी किया जा सकता है.

सिंफर में खुला सेंटर: दोनों संस्थानों के बीच करार के बाद आइयू-सीइआरआइ का एक सेंटर सिंफर धनबाद में खुला है. जबकि एक सेंटर लंदन में खोला गया है. इस प्रोजेक्ट के तहत वैज्ञानिक यह पता करते हैं कि अवशिष्ट में किस तरह के केमिकल डालने से कार्बन डॉक्साइड जल्द खींचा जाता है. पहले चरण में स्टील प्लांट एवं जिंक खदानों से निकलने वाले अवशिष्ट व मलवा पर शोध हुआ है. दूसरे चरण में दूसरे खनिज पदार्थों के अवशेष पर शोध होगा. जिंक के अवशिष्ट को मेटेरियल में बदलने के लिए देश का पहला पायलट प्लांट उदयपुर में खुलेगा. इसके लिए हिन्दुस्तान जिंक एवं सिंफर के बीच सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है. सिंफर के वैज्ञानिकों की एक टीम लगातार उदयपुर में इस विषय पर काम कर रही है.

सिंफर का नाम हुआ : निदेशक

सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह कहते हैं कि इस प्रोजेक्ट से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सिंफर का मान बढ़ा है. संस्थान के वैज्ञानिकों ने देश को गौरवान्वित किया है. यह प्रोजेक्ट पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा.

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