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नंद जीव है व श्रीकृष्ण आत्मा : स्वामी आध्यात्मानंद
रांची : नंद जीव है और श्रीकृष्ण आत्मा है. गोकुलधाम यह शरीर है. उक्त बातें स्वामी आध्यात्मानंद जी ने मां आनंदमयी आश्रम में चल रहे प्रवचन के दौरान कही. उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण प्राकट्य के पश्चात्य नंद गोकुल से मथुरा गये. मथुरा भोग नगरी है. जीव जब आत्मा को छोड़ कर भोगपुरी को जाता है, […]
रांची : नंद जीव है और श्रीकृष्ण आत्मा है. गोकुलधाम यह शरीर है. उक्त बातें स्वामी आध्यात्मानंद जी ने मां आनंदमयी आश्रम में चल रहे प्रवचन के दौरान कही. उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण प्राकट्य के पश्चात्य नंद गोकुल से मथुरा गये. मथुरा भोग नगरी है. जीव जब आत्मा को छोड़ कर भोगपुरी को जाता है, तभी पूतना का आगमन गोकुल में होता है. पूतना कामना व वासना का स्वरूप है.
श्रीकृष्ण ने पूतना ,अंधाकासूर , बकासूर, कालीयमर्दन अौर कंस का वध किया. यह काम क्रोध, लोभ,मोह, मत्सर व अहंकार का उन्मूलन है. कृष्ण तो स्वयं स्वरूप है. जहां सत्य है, वहां ही जय है. गीता के भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है जो धर्म-कर्तव्य का पालन करते हैं, वह मुझे परमतत्व को प्राप्त करते हैं. उनका जीवन संघर्ष का जीवन है.
जहां संघर्ष है, वहां जीवन है. कृष्ण जीवन माधुर्य है, किंतु कृष्ण सरल हैं. वह गोप गोपी का झूठन खाते हैं. वह सारथी बन सकते है अौर उपदेश भी दे सकते हैं. कृष्ण ने भले ही कारागृह में जन्म लिए हो, किंतु श्रीकृष्ण का जीवन एक आदर्श जीवन है. प्रवचन को सुनने के लिए काफी संख्या में भक्त मंदिर परिसर पहुंचे थे.
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