आह्वान. मिथेन गैस निष्कासन पर कार्यशाला, केंद्रीय कोयला सचिव बोले
रांची : केंद्रीय कोयला सचिव सुशील कुमार ने कहा है कि मिथेन गैस निकालना चुनौती भरा काम है. यह सुरक्षा और पर्यावरण दोनों के लिए महत्वपूर्ण है. इस मामले में हमें आगे बढ़ना चाहिए. इसके लिए सतर्कता काफी जरूरी है, लेकिन इसे हम पीछे नहीं छोड़ सकते हैं. चुनौती का सामना करते हुए रास्ता बनाना होगा. विशेषज्ञ इस मामले में आगे बढ़ें, हम नीतिगत सहयोग के लिए तैयार हैं. श्री कुमार शुक्रवार को होटल रेडिशन ब्लू में मिथेन गैस निष्कासन के बेहतर तरीके मामले पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन के मौके पर बोल रहे थे.
श्री कुमार ने कहा कि इस मामले में सीएमपीडीअाइ की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है.
कोल बेड मिथेन (सीबीएम) और कोल माइन मिथेन (सीएमएम) निकासी पर पिछले 20 साल से काम हो रहा है. अगर इसका उत्पादन बढ़ाना है, तो आगे बढ़ने की जरूरत है. कोयला मंत्रालय के अपर सचिव सीसीएम एक सुरक्षा का मामला है. इससे व्यावसायिक उत्पादन से पहले इन बातों पर ध्यान देने की जरूरत है. सीएमपीडीआइ के सीएमडी शेखर सरन ने कहा कि इस मामले में निजी कंपनियों से भागीदारी पर रोक है. इसे हटाया जाना चाहिए.
मिल कर काम करने की जरूरत
रेवन रिज रिसोर्स के अध्यक्ष रेमंड सी पिल्चर ने कहा कि इस मुद्दे पर सभी देशों को मिल कर काम करने की जरूरत है. तकनीकी मामले में एक-दूसरे का सहयोग लिया जा सकता है. संगठित रूप से काम किया जा सकता है. इसके व्यावसायिक दृष्टिकोण पर भी नजर रखना चाहिए. जरूरत हो तो नीतियों में भी बदलाव किया जा सकता है. इसके निष्कासन से समाज पर होने वाले बदलाव पर भी विचार होना चाहिए. कोयला मंत्रालय के सलाहकार डीएन प्रसाद ने कहा कि 1997 से सीबीएम पर काम हो रहा है, लेकिन अब तक इस पर व्यापक काम नहीं होना चिंता की बात है.
सरकार उत्पादन को बढ़ावा दे
डिप्टी डायरेक्टर जनरल हाइड्रोकार्बन (डीडीजीएच) सुशील कुमार ने कहा कि अभी करीब 1.7 मिलियन क्यूबिक मीटर सीबीएम का उत्पादन हो रहा है. नीतिगत समस्या दूर हो जाये, तो एक साल में यह छह क्यूबिक मीटर तक पहुंच सकता है. सरकार को इसके व्यापारिक दृष्टिकोण और उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए. कार्यक्रम का संचालन राजीव लोचन व धन्यवाद ज्ञापन मोनिका सीमामुद्रा ने किया. अतिथियों का स्वागत सीएमपीडीआइ के निदेशक तकनीकी विनय दयाल ने किया.