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सीएनटी-एसपीटी में संशोधन पर बाेले मुख्यमंत्री- अर्जुन मुंडा, हेमंत सोरेन के अधूरे काम को ही बढ़ाया
रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में सरकार की ओर से सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किये गये संशोधन पर खुल कर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा व हेमंत सोरेन के अधूरे काम को उनकी सरकार ने आगे बढ़ाया है. कृषि योग्य भूमि में गैर कृषि कार्य के लिए […]
रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में सरकार की ओर से सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किये गये संशोधन पर खुल कर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा व हेमंत सोरेन के अधूरे काम को उनकी सरकार ने आगे बढ़ाया है. कृषि योग्य भूमि में गैर कृषि कार्य के लिए उपयोग के प्रावधान का काम वर्ष 2010 में शुरू हुआ, जब अर्जुन मुंडा की सरकार थी. इस सरकार में झामुमो के मथुरा महतो भूमि सुधार मंत्री और हेमंत सोरेन विधि सह वित्त मंत्री थे.
उस समय सुझाव आया कि लगान लगा कर कृषि योग्य भूमि का गैर कृषि कार्य में उपयोग किया जाये. जब यह प्रस्ताव तत्कालीन वित्त सह विधि मंत्री हेमंत सोरेन के पास गया, तो उन्होंने इसे तार्किक बताया. ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) के तत्कालीन सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर भी किये. वर्ष 2011 अर्जुन मुंडा की सरकार गिर जाने की वजह से मामला रूक गया. इसके बाद हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने. फिर यह प्रस्ताव टीएसी की बैठक में गया. वर्ष 2014 में टीएसी की बैठक में इस पर चर्चा हुई. प्रस्ताव को तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अनुमोदन किया, लेकिन नवंबर में हेमंत सोरेन की सरकार गिर गयी. उन्होंने कहा कि 28 दिसंबर 2014 को जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो इनके अधूरे काम को आगे बढ़ाया. श्री दास मंगलवार को प्रोजेक्ट भवन में जनजातीय भाषा विभाग के शोधार्थियों को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने शोधार्थियों से राज्य के विकास के संबंध में सुझाव भी मांगे.
एक्ट में संशोधन कर आदिवासियों का हितकारी बनाया : सीएम रघुवर दास ने कहा कि पूर्व के प्रस्ताव को टीएसी की बैठक में लाकर इसे आदिवासियों का हितकारी बनाया गया. ताकि कोई भी रैयतधारी अपनी जमीन पर खुद रोजगार, व्यापार, लघु उद्योग, विवाह मंडप आदि बना कर आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो सके. यह भी प्रावधान किया गया कि जमीन न तो किसी को बेची जा सकती है और न ही हस्तांतरित होगी. साथ ही रैयतों का मालिकाना हक भी बरकरार रखने का निर्णय लिया गया. सरकार ने एसएआर कोर्ट को भी समाप्त करने का फैसला लिया है, ताकि मुआवजा देकर भी आदिवासी की जमीन नहीं ली जा सके.
आदिवासियों की जमीन कोई नहीं छीन सकता : मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों की जमीन कोई नहीं छीन सकता है. सरकार आदिवासियों के साथ अन्याय नहीं होने देगी. वैसे नेता आज आदिवासियों के हिमायती बन रहे हैं, जिन्होंने खुद एक्ट का उल्लंघन कर आदिवासियों की जमीन को हड़प लिया है. जनता सब कुछ देख रही है.
निवेश के लिए सरकार के पास पर्याप्त जमीन : श्री दास ने कहा कि निवेशकों को देने के लिए सरकार के पास पर्याप्त जमीन है. सरकार का अपना लैंड बैंक है. निवेशकों को जमीन देने के लिए सरकार को किसी से जमीन लेने की जरूरत नहीं है. ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में निवेश को लेकर प्रस्ताव आया है, सरकार राज्य के विकास को लेकर इन्हें जमीन देगी.
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