रांचीः पॉलिथीन सतही जल को भी प्रदूषित कर देता है. यह कुआं और चापानल का पानी जहरीला कर देता है. जमीन में दबाने पर पॉलिथीन भूमि तो बंजर बनाता ही है, साथ ही इससे निकल कर विषैले तत्व जमीन के अंदर स्थित पानी तक पहुंच जाते हैं.
जमीन के अंदर मौजूद स्वच्छ जल के स्रोत (कुआं, चापानल आदि) को प्रदूषित करता है. पॉलिथीन में मौजूद विषैले तत्वों के कारण पानी जहरीला हो जाता है.
उस पानी के लगातार प्रयोग से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. पॉलिथीन से दूषित हुआ पानी पीने से खांसी, सांस लेने में दिक्कत, आंखों में जलन, चक्कर आना, मांस पेशियों का शिथिल होना, हृदय रोग जैसी बीमारियां होना आम बात है. पर्यावरण पर भी असर पड़ता है. पॉलिथीन वर्षा जल की भूमि में अवशोषण का रास्ता भी अवरुद्ध करता है. इसके कारण सतही जल शुद्ध भी नहीं हो पाता. इस्तेमाल के बाद फेंके गये पॉलिथीन का तालाबों में तैरते पाया जाना भी आम बात है.
कुछ दिनों तक तैरते रहने के बाद पॉलिथीन पानी के अंदर बैठ जाता है. तालाब के तल पर पॉलिथीन के दुष्प्रभाव के कारण वहां उगने वाली वनस्पतियां नष्ट हो जाती हैं. नयी वनस्पतियां भी उग नहीं पाती. वनस्पतियों के नष्ट होने के कारण उन पर निर्भर करनेवाले जीव-जंतु भी नष्ट हो जाते हैं.