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जेवर गिरवी रख किया बीएड अब नहीं भर पा रही है फॉर्म

राज्य में हाइस्कूल में 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन जमा लिया जा रहा है. 26 विषय में शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है. इधर, तीन विषय में नियुक्ति के लिए स्नातक में विषय का कंबिनेशन तय कर दिया गया है, जिसकी वजह से काफी संख्या में बीएड सफल अभ्यर्थी शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया […]

राज्य में हाइस्कूल में 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन जमा लिया जा रहा है. 26 विषय में शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है. इधर, तीन विषय में नियुक्ति के लिए स्नातक में विषय का कंबिनेशन तय कर दिया गया है, जिसकी वजह से काफी संख्या में बीएड सफल अभ्यर्थी शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नहीं हो पा रहे हैं. ऐसे अभ्यर्थी जो आवेदन जमा नहीं कर पा रहे हैं, उनकी पीड़ा प्रभात खबर प्रकाशित कर रहा है.
रांची. सुप्रीति महापात्रा ने शादी के लिए बने जेवर गिरवी रख कर बीएड की पढ़ाई की. शिक्षकों ने फीस के लिए राशि जुटाने में उसकी मदद की. पिता के निधन के बाद ट्यूशन पढ़ा कर परिवार चलाने में मदद की. शिक्षक बनने के लिए आर्थिक तंगी के बाद भी पढ़ाई जारी रखी. सुप्रीति को बचपन से ही शिक्षक बनने का अरमान था. पिता के निधन के बाद भी सुप्रीति ने आर्थिक तंगी के बावजूद पढ़ाई जारी रखी. पहले इंटर फिर रसायन से स्नातक की पढ़ाई पूरी की.

स्नातक में भौतिकी व गणित सुप्रीति का सब्सिडियरी विषय था. हाइस्कूल की शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होने के पूर्व वह रांची आकर परीक्षा की तैयारी करने लगी. अब वह हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति के लिए आवेदन ही जमा नहीं कर पा रही है. झारखंड सरकार की हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2016 में पहले के प्रावधान में बदलाव कर दिया गया. रसायन व जीव विज्ञान विषय के लिए एक ही पद सृजित किया गया है. ऐसे में रसायन के साथ स्नातक में प्राणी विज्ञान व जंतु विज्ञान भी होना अनिवार्य कर दिया गया है, जबकि पहले की नियुक्ति ऐसा होना अनिवार्य नहीं था.

सुप्रीति पूर्वी सिंहभूम जिला के मुसाबनी की रहनेवाली है. उसने बताया कि अब उसे समझ नहीं आ रहा कि वे आगे किया. सुप्रीति ने बताया कि सरकार की नयी नियमावली ने एक झटके में उसके शिक्षक बनने के सपना को तोड़ दिया. सुप्रीति के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. वर्ष 2012 में उसके पिता का निधन हो गया. इसके बाद परिवार की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गयी. बीएड की फीस के लिए उसे कॉलेज के एक-दो शिक्षकों ने मदद की. पिताजी ने शादी के लिए जो गहने बनवाये थे, उसे गिरवी रख बीएड का शुल्क जमा किया. परेशानियों के बावजूद पढ़ाई जारी रखा. शिक्षक नियुक्ति की तैयारी में लग गयी, पर अब वह नियुक्ति के लिए आवेदन ही जमा नहीं कर पा रही है. सुप्रीति ने बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर व एक निजी विद्यालय में काम कर परिवार चलाने में मदद की. सुप्रीति को स्नातक में रसायन में 65 फीसदी है. बीएड में 81 फीसदी अंक है, पर वह हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति की फॉर्म नहीं भर सकती. उसने सरकार से शिक्षक नियुक्ति नियमावली में बदलाव की मांग की है.

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