झारखंड विश्वविद्यालय अधिनियम-2000 व यूजीसी की गाइडलाइन की अनदेखी कर सर्च कमेटी का गठन किया गया था, जो संवैधानिक नहीं थी. उसके द्वारा कुलपतियों का चयन किया जाना वैध नहीं है. अगस्त 2013 में कुलपति नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था. उन्होंने आवेदन दिया. इंटरेक्शन मीटिंग हुई, लेकिन उन्हें बुलाया नहीं गया. इस पर उन्होंने आपत्ति दर्ज करायी थी.
29 जनवरी 2014 को झारखंड हाइकोर्ट में रिट दायर कर सर्च कमेटी के गठन को उन्होंने चुनाैती दी थी. सर्च कमेटी यूजीसी गाइडलाइन के अनुरूप नहीं है. उक्त कमेटी ने यूजीसी के मापदंडों को आधार बना कर उन्हें छांट दिया, क्योंकि उनके पास 10 वर्षों के प्रोफेसर पद का अनुभव नहीं था. डॉ भगत ने कहा कि विवि एक्ट की धारा 10(1) में योग्यता का निर्धारण किया गया है, जबकि धारा 10(2) में नियुक्ति प्रक्रिया का प्रावधान है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी डॉ रवींद्रनाथ भगत ने रिट याचिका दायर की है.