वहीं, इस व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों को सरकार द्वारा अचानक अपने निर्णय को लागू करने से आर्थिक नुकसान होगा. इस व्यवसाय से जुड़े प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष व्यक्ति बेरोजगार हो जायेंगे. उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने एक अप्रैल 2017 से शराब के खुदरा व्यापार को अपने हाथों में लेने का निर्णय लिया है.
चेंबर ने कहा कि व्यापारियों ने लाखों रुपये निवेश कर रखा है. सरकार अचानक शराब बेचने की बात कर रही है. ऐसे में इस व्यापार से जुड़े लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हो जायेंगे. उत्पाद सचिव अविनाश कुमार ने कहा कि वह मुख्यमंत्री से इस बारे में बात करेंगे. प्रतिनिधिमंडल में चेंबर अध्यक्ष विनय अग्रवाल, झारखंड शराब खुदरा विक्रेता संघ के अध्यक्ष अनूप चावला, उमाशंकर सिंह, सुबोध जायसवाल, रमाशंकर प्रसाद आदि मौजूद थे.