उन्होंने कहा कि समाज, संस्कृति व अपनी मूल प्रकृति में वही भाषा मातृभाषा होती है, जो नवजात जन्म के साथ अंगीकार करता है. गोस्सनर कॉलेज जनजातीय भाषा विभाग के अध्यक्ष डॉ राम प्रसाद ने कहा कि मातृभाषा को आत्मसात करने से ही दूसरी भाषाओं में ज्ञान अर्जित कर सकते हैं, इसलिए अपनी भाषा और साहित्य को कभी भी हीन भावना से नहीं देखना चाहिए .
उन्होंने कहा कि आत्मविश्वास की कमी के कारण ही नागपुरिया भाषा के साथ-साथ दूसरी क्षेत्रीय भाषा का विकास अवरुद्ध हो गया है. जेएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ जेएल उरांव ने कहा कि मातृभाषा की दयनीय स्थिति के लिए स्वयं हम लोग जिम्मेदार हैं. मंच का संचालन डॉ हरीश चौरसिया व धन्यवाद ज्ञापन मुंडारी के अध्यक्ष अबनेर लुगून ने किया.