उन्होंने कोर्ट को बताया कि रिस्पांडेंट नंबर 10, 11, 12, 13 की कंपनियां क्रमश: रूपक सिंह, धनलक्ष्मी स्टोन माइंस, श्रीराम स्टोन चिप्स एवं श्रीएंड श्री कंस्ट्रक्शन काे सरकार ने पार्टी नहीं बनाया है. इसलिए इस मामले की सुनवाई एनजीटी में ही होनी चाहिए. एनजीटी ने इस पर राज्य सरकार को अगली तारीख पर हाइकोर्ट द्वारा लिये गये स्वत: संज्ञान की आर्डर कॉपी तथा जिस अखबार की खबर के अाधार पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है, उस अखबार की कटिंग भी लाने का निर्देश दिया है. अगली सुनवाई सात मार्च को निर्धारित की गयी है. गौरतलब है कि प्रभात खबर ने इस मुद्दे को उठाया था, जिस पर हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले की जांच का निर्देश दिया था. प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट के आधार पर याचिकाकर्ता सत्यप्रकाश ने एनजीटी में यह मामला अगस्त 2015 में दायर किया था, जिस पर सुनवाई चल रही है.
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एनजीटी ने सरकार से अखबार की कटिंग व कोर्ट के आदेश की कॉपी मांगी
नयी दिल्ली: राज्य में चल रहे अवैध खनन और पत्थर तोड़े जाने के मामले की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) में सोमवार को हुई. न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता में प्रिंसिपल बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. राज्य सरकार ने एनजीटी को बताया कि इस मामले को लेकर रांची हाइकोर्ट में मामला चल रहा […]
नयी दिल्ली: राज्य में चल रहे अवैध खनन और पत्थर तोड़े जाने के मामले की सुनवाई नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल(एनजीटी) में सोमवार को हुई. न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता में प्रिंसिपल बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. राज्य सरकार ने एनजीटी को बताया कि इस मामले को लेकर रांची हाइकोर्ट में मामला चल रहा है, इसलिए जब तक हाइकोर्ट का निर्णय नहीं आ जाता है, तब तक इस मामले को क्लब कर दिया जाये. राज्य सरकार की ओर से एनजीटी को बताया गया कि अवैध खनन और पत्थर तोड़े जाने को लेकर एक अखबार की रिपोर्ट पर हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी जांच शुरू की है.
इसलिए एक ही मामले की सुनवाई दो जगहों पर न होकर इसे क्लब कर दिया जाये. इस पर एनजीटी ने पूछा कि क्या हाइकोर्ट को राज्य सरकार की ओर से यह बताया गया है कि इस मामले की सुनवाई एनजीटी में भी चल रही है. याचिकाकर्ता व हाइकोर्ट के वकील सत्यप्रकाश ने विरोध करते हुए कोर्ट को बताया कि दोनों मामले अलग हैं. उन्होंने एनजीटी में जिन लोगों को पार्टी बनाया है, उनमें से कई नामों को हाइकोर्ट में पार्टी नहीं बनाया गया है.
इधर हाइकोर्ट ने दिया शपथ पत्र दायर करने का निर्देश
झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को पहाड़ों के गायब होने को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. प्रार्थी को शपथ पत्र के माध्यम से अवैध क्रशरों के संचालन की जानकारी देने का निर्देश दिया. जस्टिस डीएन पटेल व व जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की खंडपीठ में मामले की सुनवाई के दाैरान प्रार्थी की अोर से राज्य सरकार के जवाब को चुनाैती देते हुए उसे गलत बताया गया. प्रार्थी अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने खंडपीठ को बताया कि सरकार का जवाब सही नहीं है. अब भी लगभग दस हजार अवैध क्रशरों का संचालन किया जा रहा है. दिन में सील कर दिया जाता है आैर रात में क्रशर चलाये जाते हैं. प्रार्थी की बातों को सुनने के बाद खंडपीठ ने सबूत प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई फरवरी माह के अंतिम सप्ताह में की जायेगी. उल्लेखनीय है कि राज्य के विभिन्न जिलों में पहाड़ों के गायब होने संबंधी प्रभात खबर में प्रकाशित खबर को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. अधिवक्ता हेमंत सिकरवार ने जनहित याचिका दायर कर अवैध क्रशरों से हो रहे प्रदूषण का मामला उठाया है.
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