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कोनार सिंचाई योजना से पहली बार होगा पटवन

खुशखबरी. जल्द पूरा होगा निर्माण कार्य विवेक चंद्र रांची : क्षेत्र की सबसे पुरानी सिंचाई परियोजनाओं में से एक ‘कोनार सिंचाई योजना’ पहली बार खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए तैयार है. नहर की 4,317 मीटर की मेन कनाल में से केवल 60 मीटर का निर्माण शेष है. यह भी जनवरी के अंत तक पूरा […]

खुशखबरी. जल्द पूरा होगा निर्माण कार्य
विवेक चंद्र
रांची : क्षेत्र की सबसे पुरानी सिंचाई परियोजनाओं में से एक ‘कोनार सिंचाई योजना’ पहली बार खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए तैयार है. नहर की 4,317 मीटर की मेन कनाल में से केवल 60 मीटर का निर्माण शेष है. यह भी जनवरी के अंत तक पूरा हो जायेगा. उसके बाद डैम का पानी नहर के जरिये खेतों तक पहुंचाया जायेगा.
कोनार नदी पर बनाये गये इस नहर के जरिये 10,000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा पहुंचायी जायेगी. डैम के 70 किमी क्षेत्र में स्थित बिष्णुगढ़, डुमरी और बगोदर प्रखंड के गांवों तक पानी पहुंचेगा. इसके लिए अब तक 299.5 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं.
नहर बनाने में लग गये 41 साल :
कोनार सिंचाई योजना के तहत नहर तैयार करने में 41 वर्ष लग गये. 1975 में केवल 11.43 करोड़ रुपये से कोनार नदी पर बने डैम से सिंचाई योजना को तत्कालीन बिहार सरकार ने मंजूरी देकर काम शुरू कराया था. वर्तमान में योजना की लागत बढ़ कर 348 करोड़ रुपये हो गयी है. अब भी नहर निर्माण का कार्य सौ फीसदी पूरा नहीं किया जा सका है. हालांकि, वर्तमान सरकार के प्रयासों से नहर के टनल का कार्य भी 80 फीसदी से अधिक पूरा कर लिया गया है. जबकि, नहर से अप्रोच चैनल के कार्य में तेजी लायी गयी है. कार्य पूर्ण होने पर लगभग 62000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा पहुंचायी जा सकेगी.
सिंचाई क्षमता में बिहार, छत्तीसगढ़ से काफी पीछे है झारखंड : झारखंड की 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर ही आधारित है. पर, सिंचाई क्षमता नहीं होने के कारण ही यहां एक ही फसल धान ही उगायी जाती है. राज्य बनने के बाद सिंचाई क्षमता में केवल 31.48 प्रतिशत की वृद्धि हो पायी है.
सिंचाई के मामले में बिहार और छत्तीसगढ़ झारखंड से काफी आगे हैं. बिहार में कुल कृषि योग्य भूमि 94.16 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से 81.47 क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध है. छत्तीसगढ़ में 5.56 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से 4.68 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई क्षमता उपलब्ध है. वहीं, झारखंड में अब भी 5.49 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई व्यवस्था करनी है.
अन्य सिंचाई परियोजनाओं पर तेजी से चल रहा है काम : अलग राज्य बनने के बाद झारखंड की सिंचाई क्षमता में केवल दो हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है. कोनार सिंचाई परियोजना चालू करने के बाद सरकार सोनुआ जलाशय योजना, सुरंगी जलाशय, नकटी जलाशय, रामरेखा जलाशय, अपर शंख जलाशय, तजना जलाशय, सुरू जलाशय, अमानत बराज, पुनासी जलाशय, उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना, झरझरा जलाशय, गरही जलाशय, सौउली जलाशय, कांटी जलाशय, कंश जलाशय, अजय बराज परियोजना, भरवा जलाशय, नकटी जलाशय, रामरेखा जलाशय, बटाने जलाशय, गुमानी जलाशय, अपरशंख जलाशय, गुमानी बराज, सुरंगी जलाशय, सोनुवा जलाशय, पंचखेरो जलाशय, सुकरी जलाशय, केशो जलाशय व कांची वियर पर भी तेजी से काम कर रही है.

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