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बैठक: राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को दिया निर्देश, शराब पीकर वाहन चलाने वालों का लाइसेंस रद्द करें

रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि मानव जीवन सबसे कीमती है. इसे बचाने के लिए हमें उपाय करने होंगे. सड़क दुर्घटना में होनेवाली मौतों को रोकने के लिए सारे प्रयास करें. ये प्रयास शॉर्ट टर्म व लांग टर्म अवधि के होने जरूरी हैं. ज्यादा दुर्घटनावाले स्थानों को चिह्नित करें. उनकी प्रोफाइलिंग कर बचाव के […]

रांची: मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि मानव जीवन सबसे कीमती है. इसे बचाने के लिए हमें उपाय करने होंगे. सड़क दुर्घटना में होनेवाली मौतों को रोकने के लिए सारे प्रयास करें. ये प्रयास शॉर्ट टर्म व लांग टर्म अवधि के होने जरूरी हैं. ज्यादा दुर्घटनावाले स्थानों को चिह्नित करें. उनकी प्रोफाइलिंग कर बचाव के तरीके तय करें. इन स्पॉट के पहले साइन बोर्ड, रंबल स्ट्रीप आदि लगायें.

इन मार्गों पर वाहनों की स्पीड निर्धारित करें और इसे कड़ाई से लागू करें. शराब पीकर वाहन चलानेवालों का लाइसेंस रद्द करें. इसके लिए ब्रेथ एनालाइजर की जल्द खरीदारी करें. श्री दास ने शनिवार को राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक की़ अधिकारियों को कई निर्देश दिये. उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना कम करने के लिए कानून का कड़ाई से पालन करने के साथ लोगों में जागरूकता लानी जरूरी है. दुर्घटना कम करने के लिए स्टडी करें. इसके लिए किसी एक्सपर्ट एजेंसी को नियुक्त करें. सड़कों से होर्डिंग हटायें.

स्कूली पाठ्यक्रम में ट्रैफिक कानून की पढ़ाई सुनिश्चित करें
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में ट्रैफिक कानून की पढ़ाई सुनिश्चित करें. साथ ही ट्रैफिक पुलिस द्वारा स्कूलों-कॉलेजों में पढ़ाई करायें. नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूकता बढ़ायी जा सकती है. हेलमेट पर कड़ाई करें. पुलिस हो या नेता सभी के लिए हेलमेट जरूरी है, जो नहीं पहने फाइन करें. तीन बार से ज्यादा पकड़ायें तो लाइसेंस रद्द करें. इसे लागू करने के लिए ई-चालान काटें. नाइट पेट्रोलिंग वाहनों को जीपीएस से जोड़ कर रियल टाइम डाटा रखें.
राज्य में कुल 155 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किये गये
बैठक में बताया गया कि राज्य में कुल 155 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किये गये हैं, जहां दुर्घटना सबसे ज्यादा होती हैं. इन स्थानों पर दुर्घटना रोकने के लिए व्यापक प्रयास किो जा रहे हैं. 10 करोड़ रुपये से ज्यादा लागत वाली सड़कों के निर्माण में सड़क सुरक्षा का अंकेक्षण कराया जायेगा. बैठक में रांची की मेयर आशा लकड़ा, मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, डीजीपी डीके पांडेय, सीएम के प्रधान सचिव संजय कुमार, परिवहन सचिव केके खंडेलवाल समेत कई अधिकारी मौजूद थे.
सड़क हादसाें में अब तक 65 हजार लोगों की मौत
सड़क दुर्घटना मौजूदा समय की सबसे बड़ी त्रासदी है. आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं. झारखंड गठन के बाद से गत 15 वर्षों में राज्य भर में करीब 65 हजार लोगों की मौत सड़क दुर्घटना में हो चुकी है. दूसरी अोर इससे बचाव के लिए यातायात नियमों का दृढ़ता से पालन नहीं हो रहा. तेज गति व शराब पीकर वाहन चलाना, बगैर हेलमेट पहने दोपहिया वाहन चलाना तथा गलत तरीके से पास लेना ये सब रोजाना की जिंदगी में आम है. इधर, दुर्घटना के बाद के लिए एंबुलेंस व ट्रॉमा सेंटर जैसे फौरी उपाय भी नदारद हैं. वहीं झारखंड सरकार आठ साल में भी सात ट्रॉमा सेंटर नहीं बना सकी है.
वित्तीय वर्ष 2009-10 में यह तय हुआ था कि 10 ट्रॉमा सेंटर बनाये जायेंगे, पर इनमें से सिर्फ पांच पर ही काम शुरू हुआ. इनमें से तीन सेंटर नगर ऊंटारी (गढ़वा), बहरागोड़ा (पू सिंहभूम) तथा हजारीबाग सदर (हजारीबाग) तो बन गये, पर संचालित नहीं हैं. करीब तीन-तीन करोड़ की लागत से तीनों ट्रॉमा सेंटर तीन वर्ष पहले बन चुके हैं. वहीं बरही ट्रॉमा सेंटर का काम अभी बाधित है और रांची के बुंडू में बननेवाला ट्रॉमा सेंटर का काम जमीन संबंधी समस्या के कारण बंद कर दिया गया है. शेष पांच ट्रॉमा सेंटर कहां बनेंगे, अभी तक यह तय नहीं है.
क्या है ट्रॉमा सेंटर : ट्रॉमा सेंटर दुर्घटना के बाद तत्काल इलाज व राहत पहुंचाने वाला केेंद्र है. सड़क दुर्घटना से होनेवाली मौत या स्थायी विकलांगता रोकने में यह मददगार होता है. दुर्घटना के बाद पीड़ितों का इलाज आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित व आमतौर पर राष्ट्रीय राज मार्गों पर स्थित इन केेंद्रों में होता है. घायलों को दुर्घटना स्थल से सेंटर तक लाने के लिए जीवन रक्षक उपरकणों से लैस मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू या एंबुलेंस) राजमार्गों पर तैनात होती हैं.
हाइवे के एंबुलेंस भी बंद : नेशनल हाइवे (एनएच या राष्ट्रीय उच्च पथ) पर तैनात जीवन रक्षक एंबुलेंस (1033) 14 मार्च -2016 से बंद हो गये हैं. एंबुलेंस का संचालन कर रही संस्था आइसीआइसीआइ लोंबार्ड के साथ केंद्र सरकार के सड़क परिवहन व उच्च मार्ग मंत्रालय का करार समाप्त हो जाने के कारण ऐसा हुआ है. राज्य के एनएच-33 पर कुल आठ एंबुलेंस संचालित हो रहे थे. 50-50 किमी की दूरी पर ये एंबुलेंस नामकुम, बुंडू, तमाड़, ररगांव, चौका, चांडिल, डिमना व महुलिया में तैनात थे.
किस वर्ष कितनी मौत
वर्ष कुल मौत
2001 1432
2002 1100
2003 1120
2004 1597
2005 3912
2006 4454
2007 5414
2008 4536
वर्ष कुल मौत
2009 5796
2010 5710
2011 6261
2012 6489
2013 6495
2014 4674
2015 5737
कुल 64727
ट्रॉमा सेंटर की स्थिति
सेंटर स्थिति
बहरागोड़ा पूर्ण, पर असंचालित
हजारीबाग सदर पूर्ण, पर असंचालित
नगर ऊंटारी पूर्ण, पर असंचालित
बरही निर्माण बाधित
बुंडू काम बंद
एंबुलेंस 108 के लिए टेंडर तीसरी बार रद्द : झारखंड में 108 नाम के एंबुलेंस में उपकरण व अन्य सामान लगाने (फैब्रिकेशन) के लिए निकाला गया टेंडर विभिन्न कारणों से तीसरी बार रद्द हो गया है तथा अभी फिर से प्रक्रिया में है. इधर, करीब 37 करोड़ की लागत से टाटा तथा फोर्स कंपनी के कुल 329 एंबुलेंस खरीद लिये गये हैं, जो अारसीएच परिसर, नामकुम तथा जमशेदपुर स्थित यार्ड में आठ माह से खड़े हैं.

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