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एक साल पहले ही होटलों में बुक करा लिये गये कमरे
जनवरी 2018 में रांची में होना है मनोचिकित्सकों का सम्मेलन मनोज सिंह रांची : 2018 में इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी (आइपीएस) का राष्ट्रीय सेमिनार रांची में होना है. इस पर करोड़ों रुपये खर्च किये जाने हैं. इसी साल जनवरी माह के पहले सप्ताह में रायपुर में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. वहां तय किया गया […]
जनवरी 2018 में रांची में होना है मनोचिकित्सकों का सम्मेलन
मनोज सिंह
रांची : 2018 में इंडियन साइकेट्रिक सोसाइटी (आइपीएस) का राष्ट्रीय सेमिनार रांची में होना है. इस पर करोड़ों रुपये खर्च किये जाने हैं. इसी साल जनवरी माह के पहले सप्ताह में रायपुर में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. वहां तय किया गया कि रांची अगली होस्ट सिटी होगी. रांची में 15 से 20 जनवरी के बीच आयोजन होना है. होस्ट सिटी की घोषणा होते ही इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ने आयोजन का जिम्मा संभाल लिया है. राजधानी के करीब-करीब सभी बड़े होटलों के कमरे बुक करा लिये गये हैं.
राजधानी के एक बड़े होटल के अधिकारियों ने बताया कि एनसीप-18 के आयोजन को लेकर करीब-करीब सभी कमरे बुक कर लिये गये हैं. इस अवधि में कमरा उपलब्ध कराना संभव नहीं है. इसमें पूरे देश से करीब एक हजार मनोचिकित्सक हिस्सा लेंगे. पूरी व्यवस्था करने का जिम्मा फॉर्मास्यूटिकल कंपनियों के जिम्मे होगी. आयोजन को लेकर मनोचिकित्सकों का एक ग्रुप विरोध कर रहा है. इनका तर्क है कि सीआइपी और रिनपास जैसे दो बड़े मनोचिकित्सा संस्थान यहां है. दोनों संस्थानों में दर्जनों मनोचिकित्सकों के पद रिक्त हैं. इस तरह के आयोजनों में तकनीकी पेपर पेश किये जाते हैं. इसमें न तो मनोचिकित्सकों के रिक्त पदों को भरने के मुद्दे पर सरकार पर दबाव बनाया जाता है, न ही मनोरोगियों को मिलने वाली सुविधाओं पर चर्चा होती है.
सोशल साइट्स पर हो रही चर्चा
आयोजन को लेकर सोशल साइट्स पर जोरदार चर्चा हो रही है. कुछ मनोचिकित्सकों के बीच अायोजन को लेकर बहस हो रही है. कुछ मनोचिकित्सक नाराज चिकित्सकों से नाराजगी का कारण पूछ रहे हैं. एक ओर चिकित्सकों का कहना है कि रायपुर में हुए राष्ट्रीय सेमिनार में एक-एक डॉक्टर को छह-छह हजार रुपये के बैग दिये गये. फाइव स्टार होटलों में रहने की व्यवस्था की गयी. खाना-पीना, घूमना सब कुछ मुफ्त था. पता नहीं यह पैसा किसने खर्च किये? आने-जाने से लेकर खाने और रहने की पूरी व्यवस्था कोई न कोई दवा कंपनी के प्रतिनिधि देख रहे थे.
फेसबुक या सोशल साइट्स को वैसे लोग माध्यम के रूप में चुनते हैं, जिनकी कोई नहीं सुनता है. राज्य में पहली बार इतना बड़ा आयोजन होने जा रहा है. इसमें सबके सहयोग की जरूरत है. यहां के होटलो में रूम नहीं है, इस कारण बहुत अधिक डॉक्टरों को नहीं बुलाया जा सकता है. रायपुर में करीब दो हजार डॉक्टर सेमिनार में आये थे. जो लोग कहते हैं कि फार्मा कंपनियों का सहयोग नहीं लेना चाहिए, वैसे लोगों ने पूर्व में इस तरह के काम किये हैं.
डॉ संजय मुंडा, अध्यक्ष, आइपीएस
इस तरह के आयोजन में फार्मा कंपनियों से खर्चलिये जाते हैं. इसके कई प्रमाण हैं. क्या ऐसा करनेवाले चिकित्सक मरीजों के साथ न्याय कर सकते हैं. अपने पेशे के प्रति वे कितने ईमानदार होंगे.
डॉ सिद्धार्थ सिन्हा, सदस्य, आइपीएस
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