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काे-अॉपरेटिव बैंक ही परेशान 2.5 करोड़ के पुराने नोट फंसे

रांची : 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद होने के बाद एक्सचेंज करने को लेकर लोगों के बीच आपाधापी मची रही. लोग बैंक शाखाओं में घंटों लाइन में लगे रहे. एक ऐसा बैंक भी है, जो आज खुद परेशान है. मामला झारखंड में स्थित सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंकों से जुड़ा है, जिनके पास लगभग […]

रांची : 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट बंद होने के बाद एक्सचेंज करने को लेकर लोगों के बीच आपाधापी मची रही. लोग बैंक शाखाओं में घंटों लाइन में लगे रहे. एक ऐसा बैंक भी है, जो आज खुद परेशान है.
मामला झारखंड में स्थित सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंकों से जुड़ा है, जिनके पास लगभग 2.5 करोड़ रुपये के पुराने नोट पड़े हैं. इसे न तो बैंक ले रहा है और न ही आरबीआइ ले रहा है. सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंकों का कहना है कि नोट एक्सचेंज का काम बैंकों से बंद करने का असर यह हुआ है कि कई खाताधारकों ने बैंक खाता भी बंद कर दिया है. उनका कहना है कि जब जरूरत पड़ी, तो काम नहीं हो सका. आखिर आपके यहां खाते क्यों रखें?
झारखंड में हैं 112 ब्रांच : झारखंड में सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की कुल 112 शाखाएं हैं. झारखंड में रांची-खूटी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, गुमला-सिमडेगा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक, चाईबासा, हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद, दुमका एवं देवघर को-ऑपरेटिव बैंक कार्यरत हैं.
नोटबंदी के दौरान नोट एक्सचेंज काम नहीं होने के कारण को-ऑपरेटिव बैंकों का कमर एक तरह से टूट गयी है. ग्राहकों के बीच बैंक का विश्वास खत्म हो गया. यहां तक कि कई ग्राहकों ने खाता भी बंद कर दिया. आखिर कैसे बैंकिंग कारोबार हो सकेगा.
एससी कर्मकार, महासचिव, झारखंड स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक इंप्लाइज यूनियन
निकाल दिया आदेश
केंद्र सरकार ने 14 नवंबर को आदेश निकाल दिया कि सहकारी बैंक एक्सचेंज का काम नहीं कर सकेंगे. इस कारण सहकारी बैंकों में पुराने नोट यथावत पड़े हैं. बैंक जाने पर इन पुराने नोटों को लेने से साफ इनकार कर दिया गया.

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