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आदिवासी-मूलवासी को मिटाने पर तुली है सरकार : दयामनी

नामकुम. राज्य सरकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन कर आदिवासी-मूलवासी का नामों निशान मिटाने की साजिश में लगी है. सीएनटी एक्ट की धारा 21 कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में बदलने से रोक लगाती है. सीएनटी वह कवच है, जिससे बड़े पैमाने पर होनेवाले भूमि के अवैध हस्तांतरण पर रोक लग सकी है तथा बड़े-बड़े […]

नामकुम. राज्य सरकार सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन कर आदिवासी-मूलवासी का नामों निशान मिटाने की साजिश में लगी है. सीएनटी एक्ट की धारा 21 कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में बदलने से रोक लगाती है. सीएनटी वह कवच है, जिससे बड़े पैमाने पर होनेवाले भूमि के अवैध हस्तांतरण पर रोक लग सकी है तथा बड़े-बड़े बिल्डर यहां की जमीन हथियाने में नाकाम रहे हैं. यह बातें सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने रविवार को खरसीदाग में आयोजित आदिवासी मूलवासी जनसभा में कही. उन्होंने कहा कि सरकार गैरमजरूआ जमीन को चिह्नित कर उसे कॉरपोरेट घरानों को परोसने की तैयारी कर रही है.

दो साल के अपने कार्यकाल पर सरकार खुद अपनी पीठ थपथपा रही है जबकि जमीनी हकीकत कुछ अौर है. उन्होंने राज्य के आदिवासी विधायकों से सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध करने की अपील भी की. पुष्पा सुकेंदा टेटे ने भी अपने विचार रखे. जनसभा में भाजपा विधायकों का विरोध करने का भी निर्णय लिया गया. मौके पर अमूल नीरज खलखो, प्रदीप तिर्की, मुन्ना बड़ाइक, हरिश्चंद्र सिंह मुंडा, मोतीलाल सिंह मुंडा, रितेश उरांव, ओलिभा कच्छप, वचन बड़ाइक सहित नामकुम के पांच पंचायत के ग्रामीण शामिल थे.

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