रांची: राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि विकास हो, पर पर्यावरण के नुकसान पर न हो. विकास और पर्यावरण में संतुलन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि नेतृत्व करनेवाले नेता और सलाह देनेवाले भी पर्यावरण के प्रति उदाहरण बने. नेताओं का लोग अनुकरण करते हैं. केवल बोलने से नहीं होगा, बल्कि पर्यावरण के प्रति ईमानदारी प्रदर्शित करनी होगी. उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति एक आंदोलन की जरूरत है. राज्यपाल शनिवार की शाम युगांतर भारती द्वारा आयोजित इनवायरमेंट एंड डेवलपमेंट इन इस्टर्न इंडिया पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रही थीं.
राज्यपाल ने कहा कि पर्यावरण सुरक्षा आज विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गयी है. पर्यावरण प्रदूषण से आज समस्त विश्व चिंतित है. हमें पर्यावरण की रक्षा करते हुए विकास का मार्ग प्रशस्त करना होगा, जिससे कि दोनों के बीच संतुलन बना रहे. पर्यावरण को संरक्षित करने का काम सिर्फ सरकार का नहीं है, बल्कि इसके महत्व को सभी लोग जाने-समझें. राज्यपाल ने कहा कि विकास के नाम पर हम कहां जा रहे हैं. आज जो लक्जरी जीवन हम जी रहे हैं, एक दिन यह सब समाप्त हो जायेगा. ग्लोबल वार्मिंग की चिंता करनेवाले लोग कहते हैं कि यही स्थिति रही, तो एक दिन धरती पर रहना मुश्किल हो जायेगा. शहरी क्षेत्रों का विस्तार सुनियोजित योजना के तहत किया जाये.
इसके पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने सेमिनार में उभरे विचारों से राज्यपाल को अवगत कराते हुए कहा कि सुझावों पर अमल कर पर्यावरण सुरक्षा के कदम उठाये जा सकते हैं. स्वागत भाषण रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश पांडेय व धन्यावद ज्ञापन कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आरपीपी सिंह ने किया. कार्यक्रम में विचारक गोविंदाचार्य, राय यूनिवर्सिटी की वीसी सविता सेंगर, युगांतर भारती की मधु, सांसद सुनील सिंह समेत कई लोग उपस्थित थे.