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बैंक अॉफ इंडिया: आंचलिक कार्यालय के अधिकारी भी गड़बड़ी में शामिल

रांची: बैंक अॉफ इंडिया के रांची अंचल में हुई कैश क्रेडिट वित्तीय अनियमितता के दायरे में अंचल कार्यालय के कई अधिकारी भी शामिल हैं. अंचल कार्यालय के एक बड़े अफसर की भूमिका को भी पूरे प्रकरण में संदिग्ध माना जा रहा है. खातों के एनपीए(नन परफारमिंग एसेट) होने और सीसी (कैश क्रेडिट) लिमिट बढ़ाये जाने […]

रांची: बैंक अॉफ इंडिया के रांची अंचल में हुई कैश क्रेडिट वित्तीय अनियमितता के दायरे में अंचल कार्यालय के कई अधिकारी भी शामिल हैं. अंचल कार्यालय के एक बड़े अफसर की भूमिका को भी पूरे प्रकरण में संदिग्ध माना जा रहा है. खातों के एनपीए(नन परफारमिंग एसेट) होने और सीसी (कैश क्रेडिट) लिमिट बढ़ाये जाने की मौखिक अनुमति पूर्व में ली गयी. जानकारी के अनुसार बैंक की अशोक नगर शाखा, गुमला की मांझाटोली शाखा और जमशेदपुर शाखा में कैश क्रेडिट के नाम पर खाताधारकों की अधिक क्रेडिट सीमा तय करने का मामला सामने आया है. इससे आठ सौ से अधिक चालू खाते जुड़े हैं, जो एनपीए हो गये हैं.
बैंकिंग शाखाओं के आंकड़े हैं कम : जिन बैंकों की शाखाओं पर कार्रवाई की गयी है, उनमें एनपीए के आंकड़े भी 10-12 करोड़ से अधिक नहीं हैं. यह गड़बड़ी 2010 से 2012-13 के बीच की हैं. उदाहरण के तौर पर ही लें, तो राजधानी की अशोक नगर शाखा में सिर्फ तीन खातों में ही सीसी लिमिट बढ़ाये जाने की पुष्टि हुई है. यहां पर व्यवसायियों के 250 से अधिक खाते हैं. आंचलिक कार्यालय के अधिकारी मानते हैं कि अशोक नगर शाखा में सबसे अधिक गड़बड़ी हुई है. अधिकतर व्यवसायियों की कैश क्रेडिट सीमा बढ़ा कर तीन से छह लाख रुपये तक कर दी गयी. बैंकिंग कार्यप्रणाली के अनुसार कैश क्रेडिट की सीमा बेहतर ट्रांजेक्शन की सीमा पर आग्रह के बाद ही बढ़ाया जाता है.
110 शाखाओं में से 40 शाखाओं के एनपीए सबसे अधिक : रांची अंचल में बैंक ऑफ इंडिया की 110 शाखाएं हैं. इनमें से 40 शाखाओं में सबसे अधिक एनपीए हैं. पूरे झारखंड में बैंक का एनपीए 500 करोड़ से अधिक है, जिनसे जुड़े खातों की संख्या 31 हजार से अधिक है. सूत्रों का कहना है कि आंचलिक कार्यालय की तरफ से आंतरिक निगरानी में एक ही तरह के आरोप सभी पर लगाये गये हैं. इसमें कहा गया है कि एनपीए एकाउंट की जो रिपोर्ट आंचलिक कार्यालय को भेजी गयी, उसका भौतिक निरीक्षण नहीं किया गया. यह भी आरोप पुष्ट किया गया है कि सीसी लिमिट के तहत लिये गये फिक्स्ड डिपोजिट को वापस ग्राहकों के खाते में डाल दिया गया. एनपीए एकाउंट में कैसे फिक्सड डिपोजिट की राशि जमा की गयी. इसी आरोप के आधार पर डीके सिन्हा, केके ठाकुर, साइमन कच्छप, बिरसा टोप्पो और अनुप रंजन एक्का को सेवा से बरखास्त कर दिया गया है. बैंक की आंतरिक निगरानी जांच में उपरोक्त आरोपों की पुष्टि की गयी है.
दोषियों का कहना है कि हमारे समय के नहीं हैं अकाउंट : दोषी अधिकारियों में से कुछ का कहना है कि उनके समय के सीसी एकाउंट नहीं हैं. डीके सिन्हा का कहना है कि वे 2009-10 में अशोक नगर शाखा में थे. अनूप एक्का 2013-14 में बैंक में पदस्थापित थे. 2010-11 में केके ठाकुर अशोक नगर में वरीय प्रबंधक थे. इन तीनों पर आंचलिक प्रबंधक शंकर प्रसाद की तरफ से वित्तीय अधिकारों का दुरुपयोग करने, बैंक के रिटेल ट्रेड की राशि का दूसरी योजना में समायोजन करने और सब्सिडी देने में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है. बरखास्त किये गये अधिकारियों की तरफ से पूरे मामले पर उच्चतर प्रबंधन के समक्ष सुनवाई की अपील की जायेगी.
सभी आरोपियों के खिलाफ की गयी है उचित कार्रवाई
आंचलिक प्रबंधक शंकर प्रसाद का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की गयी है. यह पूछे जाने पर कि तीन करोड़ से अधिक की गड़बड़ी पर सीबीआइ जांच की अनुशंसा क्यों नहीं की गयी, तो उन्होंने कहा कि मेरे हिसाब से इसकी जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि आरोपियों को प्रारंभिक जांच के आधार पर बरखास्त कर दिया गया है.
क्या है एनपीए : जब बैंक से लिये गये कर्ज की राशि दो महीने या इससे अधिक समय तक लगातार नहीं लौटायी जाती है, तो बैंक प्रबंधन उन खातों को एनपीए में डाल देता है. उसके बाद कर्ज की राशि वसूलने की आवश्यक व कानूनी कार्रवाई की जाती है. इसको लेकर लगातार अंचल कार्यालय को मासिक रिपोर्ट भेजी जाती है. समय-समय पर अंचल कार्यालय से अनुमति लिये जाने का प्रावधान है.
क्या है सीसी : कैश क्रेडिट चालू खाता धारकों को दिया जाता है. यह सुविधा बैंक की तरफ से किसी भी व्यवसाय के संचालन के लिए एक से डेढ़ प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया जाता है. इसके लिए खाता धारकों से फिक्स्ड डिपॉजिट लिया जाता है. खाते से सही लेन-देन नहीं होने पर फिक्स्ड डिपॉजिट की राशि वापस खाताधारकों के खाते में डाल दी जाती है, ताकि बैंक का डूबा पैसा वसूल किया जा सके.

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