संदीप सावर्ण
रांची/जमशेदपुर : झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) ने झारखंड शिक्षा पात्रता परीक्षा ( जेटेट ) की उत्तर कुंजी जारी कर दी है. परीक्षा में पूछे गये कुछ प्रश्न और उसके उत्तर पर अभ्यर्थियों ने आपत्ति दर्ज करायी है. अभ्यर्थियों का दावा है कि लगभग दर्जन भर प्रश्न का उत्तर गलत है.
इसके अलावा एक ही क्रम के सवाल हिंदी व अंगरेजी में अलग-अलग हैं. सोशल स्टडीज में 82 वां सवाल पूछा गया है कि किस वर्ष असहयोग आंदोलन शुरू हुआ. इसके उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं. जैक ने बी विकल्प को सही बताया है, जिसमें 1948 लिखा गया है. यानी जैक की ओर से जारी जवाब में कहा गया है कि असहयोग आंदोलन 1948 में शुरू हुआ, यानी भारत की आजादी के बाद. पर वास्तव में यह आंदोलन 1920 में शुरू हुआ था. मजेदार बात यह है कि इस प्रश्न के चारों विकल्प में 1920 दिया ही नहीं गया है.
यही नहीं, इसी प्रश्न को जब अंगरेजी में लिखा गया है, तो सवाल ही बदल गया है. अंगरेजी में पूछा गया है कि नॉन अलाइंड मूवमेंट कब स्टार्ट हुआ. इस सवाल का जवाब वर्ष 1961 है, जो दिये गये चारों विकल्प में नहीं है. इससे भ्रम की स्थिति बनी हुई है. नॉन अलाइंड मूवमेंट का अर्थ गुट निरपेक्ष आंदोलन होता है. अभ्यर्थियों ने प्रश्न संख्या 102 के उत्तर पर भी सवाल उठाये हैं.
प्रश्न संख्या 120 में पूछा गया है कि इनमें से कौन सा खनिज झारखंड में नहीं पाया जाता है. सही जवाब के लिए चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें अभ्रक, तांबा, सोना अौर चूना पत्थर लिखे गये हैं. लेकिन झारखंड सरकार की आधिकारिक वेबसाइट यह बताती है कि झारखंड में उक्त चारों खनिज पदार्थ पाये जाते हैं.
आंसर की को एक्सपर्ट से तैयार करवाया गया है. आंसर की को मैंने भी देखा है, गलत उत्तर जारी करने की बात गलत है. फिलहाल आपत्ति दर्ज करने के लिए समय दिया गया है, तय समय पर उम्मीदवारों की आपत्ति के बाद जैक कोई निर्णय लेगा.
– डॉ अरविंद प्रसाद सिंह,
चेयरमैन, झारखंड एकेडमिक काउंसिल
इन पर भी अभ्यर्थियों को है आपत्ति
सोशल स्टडीज में 82 वां सवाल पूछा गया है कि किस वर्ष असहयोग आंदोलन शुरू हुआ. जैक की ओर से इसका जवाब विकल्प बी को बताया गया है, जिसमें 1948 लिखा गया है. हकीकत यह है कि असहयोग आंदोलन की शुरुआत 1920 में हुई थी. सही विकल्प में 1920 तो दिया ही नहीं गया है
इसी प्रश्न को अंगरेजी में लिखा गया है कि नॉन अलाइंड मूवमेंट कब स्टार्ट हुआ. यानी हिंदी से अंगरेजी में जाने पर सवाल ही बदल गया है. इस सवाल का जवाब वर्ष 1961 है, जो दिये गये चारों विकल्प में नहीं है.
हिंदी में प्रश्न संख्या 14 में पूछा है कि रवि, शशि, अनल, अंबर अौर महि के पर्यायवाची क्रमश: हैं. जैक की ओर से इसका सही जवाब विकल्प सी को बताया गया है, जिसमें सूर्य, रात्रि, अग्नि, आकाश अौर पाताल लिखा गया है. जबकि सही जवाब विकल्प डी यानी सूर्य, चंद्रमा, अग्नि, आकाश अौर पृथ्वी है. जैक ने शशि का अर्थ रात्रि बताया है, जबकि शशि का अर्थ चंद्रमा होता है. जैक ने महि का पर्यायवाची पाताल बताया है, जबकि महि का पर्यायवाची शब्द पृथ्वी होता है.
एसएसटी में प्रश्न संख्या 113 में पूछा गया है कि ‘फूट डालो राज कर’ की रणनीति अपनानेवाला कौन था. इस सवाल का जैक की अोर से उत्तर दिया गया है लॉर्ड कर्जन. लॉर्ड कर्जन ने फूट डालो राज करो की नीति अपनायी थी अौर बंगाल का विभाजन किया था. लेकिन साथ ही उत्तर के विकल्प बी में लॉर्ड मिंटो भी लिखा गया है. गौरतलब है कि लॉर्ड मिंटो ने ही 1909 में मार्ले मिंटो रिफॉर्म लाया था अौर उन्होंने उस वक्त हिंदू अौर मुसलिम के बीच फूट डालने के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की सुविधा प्रदान की. उन्हें भी मुसलिम अौर हिंदू के बीच फूट डालने के लिए याद किया जाता है. जबकि इसी सवाल के अॉप्शन डी में बी अौर सी दोनों सही जवाब लिखा गया है, लेकिन जैक ने उसे सही नहीं माना है.