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झारखंड में कैशलेस अर्थव्यवस्था लागू करना फिलहाल दूर की कौड़ी

रांची: झारखंड की 4459 से अधिक पंचायतों में अब तक ब्राॅडबैंड अथवा इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा नहीं है. राज्य भर में बीएसएनएल, एयरटेल, एयरसेल, टेलीनॉर, वोडाफोन सरीखी कंपनियां मोबाइल फोन सेवा उपलब्ध करा रही हैं. राज्य भर के 29 सौ से अधिक बैंकों की शाखाओं में से 70 फीसदी शाखाएं ग्रामीण और अर्द्ध शहरी इलाकों […]

रांची: झारखंड की 4459 से अधिक पंचायतों में अब तक ब्राॅडबैंड अथवा इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा नहीं है. राज्य भर में बीएसएनएल, एयरटेल, एयरसेल, टेलीनॉर, वोडाफोन सरीखी कंपनियां मोबाइल फोन सेवा उपलब्ध करा रही हैं. राज्य भर के 29 सौ से अधिक बैंकों की शाखाओं में से 70 फीसदी शाखाएं ग्रामीण और अर्द्ध शहरी इलाकों में हैं. यहां कोर बैंकिंग की सुविधा जरूर है, लेकिन इंटरनेट, वाई-फाई, ब्राॅडबैंड में कनेक्टिविटी सबसे बड़ी समस्या बन गयी है.

वहीं, टेलीकाॅम कंपनियां भी युवा वर्ग को ही अधिक प्राथमिकता दे रही हैं, जिनके पास एंड्रॉयड फोन हैं. अन्य ग्राहकों के पास एंड्रॉयड अथवा टच स्क्रीन फोन नहीं हैं. ऐसे लोगों को जागरूक कर कैशलेस व्यवस्था बहाल करने के लिए राज्य सरकार को अधिक मेहनत करनी होगी. राज्य के 32 हजार गांवों में से 20 हजार गांवों में बिजली का नहीं होना भी कैशलेस व्यवस्था को बाधित कर सकता है. सरकार की तरफ से यह घोषणा की गयी है कि खुले में शौच से मुक्त गांवों को उज्ज्वला योजना से जोड़ा जायेगा. ऐसे गांवों की संख्या भी काफी कम है.
1427 पंचायतों में ही ब्राॅडबैंड की सुविधा : राज्य सरकार के मुख्यालय, जिला मुख्यालय और पंचायत मुख्यालयों में भारतनेट के जरिये इंटरनेट की सुविधाएं बहाल करनी हैं. राज्य मुख्यालय और जिला मुख्यालय के सरकारी कार्यालयों, भवनों को स्टेट वाइड एरिया नेटवर्किंग (स्वान) से जोड़ा गया है. अब इसका नया वर्जन लाने की तैयारी चल रही है. राज्य की कुल पंचायतों में से अब तक 1427 पंचायतों में ही ब्राॅडबैंड कनेक्शन उपलब्ध कराया जा सका है.
1.59 करोड़ से अधिक मोबाइल उपभोक्ता : राज्य में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 1.59 करोड़ से अधिक है. यह आंकड़ा कुल आबादी का दो तिहाई से अधिक है. पर बेहतर कनेक्टिविटी की समस्या झारखंड में विकराल रूप धारण किये हुए है. मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों पर गौर करें, तो देश भर में पांच करोड़ से अधिक लोग गांवों में इंटरनेट और मोबाइल का उपयोग करते हैं. पर इनके पास इंटरनेट का एक्सेस सिर्फ 12 फीसदी से कुछ अधिक है. झारखंड और बिहार टेलीकॉम सर्किल में मोबाइल उपभोक्ताओं की संख्या 12.06 करोड़ है. झारखंड में इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए बिजली की उपलब्धता नहीं होना भी एक प्रमुख कारण बताया जाता है.
दो एमबीपीएस से अधिक नहीं इंटरनेट की स्पीड : राज्य भर में दो एमबीपीएस से अधिक कोई भी इंटरनेट प्रदाता कंपनियों की स्पीड नहीं है. बीएसएनएल, वोडाफोन, एयरटेल, एयरसेल, टेलीनोर सरीखी कंपनियां दो एमबीपीएस से लेकर पांच एमबीपीएस तक की स्पीड का दावा तो करती हैं. पर वास्तविकता कुछ और है. निजी कंपनी भारती एयरटेल ने रांची में 4जी भी लांच कर दिया है. रिलायंस ने जियो के नाम से 4जी उतारा है. पर अन्य कंपनियां अभी थ्री जी, टूजी और अन्य सेवाएं दी जा रही हैं.
कनेक्टिविटी की समस्या विकराल : प्रसाद
राज्य के अग्रणी बैंक में से एक बैंक अॉफ इंडिया के आंचलिक प्रबंधक शंकर प्रसाद भी कनेक्टिविटी की समस्या को विकराल बताते हैं. उनके अनुसार बैंक अॉफ इंडिया की 30 फीसदी शाखाएं कनेक्टिविटी की समस्याएं से बाधित रहती हैं. हालांकि, बैंक प्रबंधन की तरफ से आइएसडीएन और लीज लाइन की सुविधा सभी शाखाओं को दी गयी हैं. उनका कहना है कि कैशलेस झारखंड का सपना बगैर बेहतर इंटरनेट कनेक्शन के संभव नहीं है, क्योंकि कैशलेस लेन देन इंटरनेट से ही संभव है. इसके लिए बैंक प्रबंधन की तरफ से कई बार मुख्यमंत्री को शिकायत भी की गयी और कहा गया कि बीएसएनएल की तरफ से पर्याप्त कनेक्टिविटी नहीं दी जा रही है.

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