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जनजातीय भाषा-संस्कृति का संरक्षण जरूरी : अर्जुन मुंडा

कार्यक्रम. मुंडा दुराङ व मुंडारी भाषा ज्ञान विज्ञान पुस्तक का लोकार्पण पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने रविवार को मुंडारी भाषा की दो पुस्तकें मुंडा दुराङ और मुंडारी भाषा ज्ञान विज्ञान का लोकार्पण किया. लेखक विशु लकड़ा की पुस्तक मुंडा दुराङ छोटी गीत और कविताओं का संकलन है. रांची : पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा […]

कार्यक्रम. मुंडा दुराङ व मुंडारी भाषा ज्ञान विज्ञान पुस्तक का लोकार्पण
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने रविवार को मुंडारी भाषा की दो पुस्तकें मुंडा दुराङ और मुंडारी भाषा ज्ञान विज्ञान का लोकार्पण किया. लेखक विशु लकड़ा की पुस्तक मुंडा दुराङ छोटी गीत और कविताओं का संकलन है.
रांची : पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि वर्तमान में जन जातीय भाषा-साहित्य और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में काम करने की जरूरत है. मुंडारी भाषा का इतिहास काफी प्राचीन है. संघर्ष के बाद भी भाषा को जीवंत रखा गया है. मुंडारी भाषा को साहित्यिक अभिव्यक्ति की आवश्यकता है.
श्री मुंडा ने यह बातें रविवार को अखिल भारतीय मुंडारी साहित्यिक विकास मंच और भारत मुंडा समाज की ओर से आयोजित मुंडारी भाषा की दो पुस्तकें मुंडा दुराङ और मुंडारी भाषा ज्ञान विज्ञान के लोकार्पण के अवसर पर कही.
समाज को सशक्त बनाता है साहित्य : रामकुमार पाहन : पूर्व मुख्यमंत्री के आवास में आयोजित इस पुस्तक विमोचन समारोह में खिजरी विधायक राम कुमार पहान ने कहा कि साहित्य के माध्यम से समाज को सशक्त बनाया जा सकता है. लेखन के क्षेत्र में अधिक-से-अधिक लोगों को आगे आने की जरूरत है.
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के पूर्व निदेशक गंदुरा मुंडा ने कहा कि साहित्य समाज का वास्तविक दर्पण होता है. लोकार्पण की दोनों पुस्तकें महत्वपूर्ण हैं. डॉ रामदयाल मुंडा जन जातीय शोध संस्थान के पूर्व सहायक निदेशक सोमा सिंह मुंडा ने कहा कि लेखन के क्षेत्र में युवाओं को प्रोत्साहित करने कि आवश्यकता है.
नवीन मुंडु ने कहा कि मुंडारी साहित्य कि समृद्धि में पत्र-पत्रिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान है. जेठा नाग ने कहा कि मुंडारी भाषा और संस्कृत, लैटिन और हिब्रु में समानता है.
शब्द और उच्चारण करीब-करीब समान है. प्रो अमिता मुंडा ने कहा कि युवाओं में सृजनात्मक अभिरुचि जगाना होगा. इससे पूर्व कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का स्वागत भारत मुंडा समाज के अध्यक्ष प्रेम सागर मुंडा ने किया. धन्यवाद ज्ञापन तोरपा के पूर्व विधायक कोचे मुंडा और संचालन डॉ सुभाष चंद्र मुंडा ने किया. कार्यक्रम में पद्मश्री स्वर्गीय डॉ रामदयाल मुंडा की पत्नी डॉ अमिता मुंडा, जेठा नाग, गोपीनाथ सिंह मुंडा, डॉ सिकरा दास तिर्की,रूपलक्ष्मी मुंडा, मेघनाथ सिंह मुंडा, तनुजा मुंडा, कुंवर पाहन समेत कई लोग मौजूद थे.
मुंडा दुराङ में है छोटी गीत व कविताओं का संकलन
लेखक विशु लकड़ा की पुस्तक मुंडा दुराङ छोटी गीत और कविताओं का संकलन है. पुस्तक में मुंडारी गीतों को समझने के लिए हिंदी रूपांतरण भी किया गया है. गाने काव्य-कविता के रूप में हैं. दूसरी पुस्तक रांची विश्वविद्यालय के जन जातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के डॉ बीरेंद्र कुमार सोय मुंडा की मुंडारी भाषा विज्ञान का लोकार्पण हुआ. इस पुस्तक में मुंडारी भाषा, साहित्य, व्याकरण, संस्कृति, परंपरा, समेत विभिन्न विषयों पर वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तरी का संकलन है.

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