उन्होंने कहा कि जानवरों के संरक्षण को लेकर अब कई कानून आ गये हैं. 1960 तक देश में जानवरों के संरक्षण के लिए कोई कानून नहीं था. 2001 के बाद से इसमें काफी तेजी आयी है. अगले एक-दो माह में और पांच कानून बन जायेंगे. पशुओं की उचित देखभाल के लिए सभी राज्यों में सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रूअल्टी ऑफ एनिमल्स (एसपीसीए) का गठन किया गया है. झारखंड में सोसाइटी को काफी काम करने की जरूरत है.
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रांची में अवैध ढंग से चल रही मीट दुकान
रांची : केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी की सलाहकार गौरी मौलेखी ने कहा कि एयरपोर्ट से आते समय करीब 60-70 मीट की दुकानें दिखी. सभी अवैध तरीके से चलाये जा रहे हैं. यहां पशु क्रूरता अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है. ऐसी दुकानों का लाइसेंस नहीं हो सकता है. श्रीमती […]
रांची : केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी की सलाहकार गौरी मौलेखी ने कहा कि एयरपोर्ट से आते समय करीब 60-70 मीट की दुकानें दिखी. सभी अवैध तरीके से चलाये जा रहे हैं. यहां पशु क्रूरता अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है. ऐसी दुकानों का लाइसेंस नहीं हो सकता है. श्रीमती मौलेखी शनिवार को कांके स्थित पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में पशु क्रूरता सेंसेटाइजेशन कार्यशाला में बोल रही थीं. उन्होंने कहा कि झारखंड में एक भी कांजी हाउस नहीं है. यह जानकर आश्चर्य हुआ. राज्य के सभी जिलों में यह जरूरी है.
उन्होंने कहा कि जानवरों के संरक्षण को लेकर अब कई कानून आ गये हैं. 1960 तक देश में जानवरों के संरक्षण के लिए कोई कानून नहीं था. 2001 के बाद से इसमें काफी तेजी आयी है. अगले एक-दो माह में और पांच कानून बन जायेंगे. पशुओं की उचित देखभाल के लिए सभी राज्यों में सोसाइटी फॉर प्रिवेंशन ऑफ क्रूअल्टी ऑफ एनिमल्स (एसपीसीए) का गठन किया गया है. झारखंड में सोसाइटी को काफी काम करने की जरूरत है.
पशु प्रेमियों को एकजुट होने की जरूरत
राज्य के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती ने कहा कि झारखंड के लिए यह नया विषय है. राज्य में कई पशु प्रेमी हैं. लेकिन, एकजुट नहीं होने के कारण अच्छा परिणाम नहीं मिल पाता है. उच्च न्यायालय के निर्देश से हरेक जिले में एसपीसीए का गठन किया गया है. पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ रजनीकांत तिर्की ने कहा कि राज्य में पशु कल्याण के क्षेत्र में जितना काम होना चाहिए था, नहीं हो पा रहा है. सभी जिलों के एसपीसीए को दो-दो लाख रुपये दिये गये हैं, लेकिन खर्च नहीं किया जा रहा है. इसके पीछे ज्ञान की कमी भी हो सकती है. मौके पर रांची के क्षेत्रीय निदेशक डॉ अभय कुमार सिंह, दुमका के क्षेत्रीय निदेशक डॉ उमेश गुप्ता, कोल्हान के क्षेत्रीय निदेशक डॉ स्टेनली कुजूर, पलामू के क्षेत्रीय निदेशक डॉ सीबी सिंह, गो सेवा आयोग की निबंधक डॉ रजनी पुष्पा सिंकू भी मौजूद थीं.
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