हाइकोर्ट के फैसले के बाद सरकार व बोर्ड में ऊहापोह की स्थिति बनी रही. इधर, बोर्ड लॉटरी आवंटियों से किस्त की राशि भी वसूलता रहा. कई आवंटी मकान भी बना चुके हैं. अधिकतर आवंटियों ने जमीन/मकान पर बैंकों से लोन भी ले रखा है. बोर्ड करीब 15 करोड़ रुपये आवंटियों से ले चुका हैं. ऐसे में बोर्ड आवंटियों के खिलाफ कदम उठाना नहीं चाहता था. लंबे समय तक मामला लटकता रहा. अंतत: नैसर्गिक न्याय के नाम पर आवंटन रद्द करने का फैसला लिया गया.
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आवास बोर्ड के लॉटरी आवंटियों को नोटिस
रांची: आवास बोर्ड ने अगस्त 2011 को हरमू, अरगोड़ा और बरियातू स्थित मकान, फ्लैट व भूखंडों का आवंटन लॉटरी द्वारा किया था. बाद में लॉटरी प्रक्रिया में अनियमितता व बोर्डकर्मियों की संलिप्तता पाये जाने पर सरकार ने 21 मार्च 2015 को आवंटन रद्द कर दिया. तब आवंटियों ने सरकार के आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती […]
रांची: आवास बोर्ड ने अगस्त 2011 को हरमू, अरगोड़ा और बरियातू स्थित मकान, फ्लैट व भूखंडों का आवंटन लॉटरी द्वारा किया था. बाद में लॉटरी प्रक्रिया में अनियमितता व बोर्डकर्मियों की संलिप्तता पाये जाने पर सरकार ने 21 मार्च 2015 को आवंटन रद्द कर दिया. तब आवंटियों ने सरकार के आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी. दिसंबर 2015 को हाइकोर्ट ने आवंटियों को राहत देते हुए कहा कि आवंटन रद्द करने के पहले आवंटियों को नोटिस दिया जाना चाहिए, पर ऐसा नहीं किया गया. यह नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध है.
बोर्ड अफसरों पर कार्रवाई नहीं :सवाल यह भी उठ रहे हैं कि सरकार ने जब लॉटरी में गड़बड़ी मान कर आवंटन कर दिया, तो फिर इसके जिम्मेवार अधिकारियों-कर्मचारियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की गयी? जिस मामले में सरकारी अफसर दोषी हैं, उसके लिए आवंटियों को सजा क्यों दी जा रही है?
केवल रांची का आवंटन किया रद्द : अावास बोर्ड ने तब रांची के अलावा जमशेदपुर, धनबाद व हजारीबाग में भी लॉटरी से परिसंपत्तियों का आवंटन किया था. रांची की तरह ही अन्य जगहों में भी लॉटरी की वही प्रक्रिया अपनायी गयी. अन्य जगहों में भी अनियमितताएं पायी गयी थीं. लॉटरी आवंटन की जांच के लिए दक्षिणी छोटानागपुर आयुक्त की अध्यक्षता में जांच समिति बनी थी, लेकिन समिति ने केवल रांची की ही जांच की. शेष जगहों की जांच नहीं हुई.
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