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11 जनवरी तक लीज नहीं हुआ, तो रद्द होगी 34 कंपनियों की खदान

रांची : एमएमडीआर(अमेंडमेंट) बिल 2015 के तहत राज्य में खदानों का लीज एग्रीमेंट 11 जनवरी 2017 तक नहीं होने पर आवंटन रद्द कर दिया जायेगा. एमएमडीआर के 10 ए टू सी के तहत केंद्र सरकार ने गैर कोयला खदानों के लिए यह मोहलत दी थी कि जिन कंपनियों को खदान आवंटित हो गयी हैं और […]

रांची : एमएमडीआर(अमेंडमेंट) बिल 2015 के तहत राज्य में खदानों का लीज एग्रीमेंट 11 जनवरी 2017 तक नहीं होने पर आवंटन रद्द कर दिया जायेगा. एमएमडीआर के 10 ए टू सी के तहत केंद्र सरकार ने गैर कोयला खदानों के लिए यह मोहलत दी थी कि जिन कंपनियों को खदान आवंटित हो गयी हैं और लीज नहीं मिला है, उनका लीज हर हाल में 11 जनवरी 2017 तक कर दिया जाना है. उक्त अवधि तक लीज नहीं होने पर आवंटन स्वत: रद्द हो जायेगा और इसके बाद खदानों की नीलामी होगी. झारखंड में लौह अयस्क व अन्य खनिजों की ऐसी 34 कंपनियों की खदान हैं, जिनका लीज लंबित है. ये सारे लीज वन एवं पर्यावरण क्लीयरेंस की वजह से लंबित हैं.
विभाग पसोपेश में : खान विभाग के सूत्रों ने बताया कि सरकार बिना वन एवं पर्यावरण क्लीयरेंस के लीज नहीं दे सकती है. यदि लीज दे दिया गया, तो बाद में कानूनी अड़चन आ सकती है. यही वजह है कि विभागीय अधिकारी इस मामले में अनिर्णय की स्थिति में हैं.
केंद्र ने सशर्त लीज का दिया है सुझाव : केंद्रीय खान मंत्रालय द्वारा एमएमडीआर(अमेंडमेंट) बिल 2015 की धारा 10 ए 2 सी के तहत वैसी लौह अयस्क या अन्य खदान जो आवंटित हो चुके हैं, पर लीज नहीं मिला है, उनका सशर्त लीज करने का सुझाव भी दिया गया है.

केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि स्टील उत्पादन के मिलेनियम गोल 100 एमटी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह जरूरी है कि लौह अयस्क खदानों से लौह अयस्क का उत्पादन हो, पर लीज न होने से ऐसा नहीं हो सकता. केंद्र की ओर से कहा गया है कि यदि 11 जनवरी 2017 तक इन्हें लीज नहीं मिला, तो लीज लैप्स हो जायेगा. केंद्रीय खान मंत्रालय द्वारा सुझाव दिया गया है कि ऐसे खदानों, जिन्हें अबतक फॉरेस्ट क्लीयरेंस नहीं मिला है, उन्हें इस शर्त पर लीज दे दिया जाये कि वे खनन नहीं करेंगे.

यानी जब तक फॉरेस्ट क्लीयरेंस और इनवायरमेंट क्लीयरेंस नहीं मिल जाता, तब तक लीज मिलने के बावजूद कंपनियां खदानों से खनन नहीं कर सकतीं. चूंकि एक्ट के अनुसार दो वर्षों में लीज कर देना था, नहीं तो स्वत: लीज रद्द हो जायेगा. ऐसे में दोबारा प्रक्रिया आरंभ करने में विलंब होगा. इधर, राज्य सरकार सभी कंपनियों को केंद्रीय वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अविलंब क्लीयरेंस लेने का निर्देश दे चुकी है. वर्ष 2010 से ही संचिका केंद्र सरकार के पास लंबित है. ऐसे में यदि समय पर क्लीयरेंस न मिला तो लीज नहीं हो सकेगा और खदानों का आवंटन रद्द हो सकता है.

कुछ प्रमुख कंपनियां जिनके लीज हैं लंबित : बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड, रूंगटा माइंस, सेसा गोवा, इस्पात इंडस्ट्रीज, इलेक्ट्रो स्टील, टाटा स्टील, आधुनिक एलॉय, जेएसपीएल, जेएसडब्ल्यू, एस्सार, मोनेट इस्पात, भूषण पावर एंड स्टील, आर्सेलर मित्तल, नीलांचल आयरन, कोहिनूर कॉरपोरेट इस्पात, अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड, मुुकुंद लिमिटेड.

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