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अपनी जन्म भूमि में मरना चाहता है दीरपू

रांची : गुमला जिले के कपारी गांव का रहनेवाला दीरपू साव अपनी जन्मभूमि में मरना चाहता है. वह 50 साल से अंडमान निकोबार में पड़ा हुआ है. 15-16 साल की उम्र में वह एक लकड़ी व्यापारी के साथ काम के सिलसिले में अंडमान निकोबार चला गया. करीब एक सप्ताह पहले बबंडरू समुद्री तल पर उसकी […]

रांची : गुमला जिले के कपारी गांव का रहनेवाला दीरपू साव अपनी जन्मभूमि में मरना चाहता है. वह 50 साल से अंडमान निकोबार में पड़ा हुआ है. 15-16 साल की उम्र में वह एक लकड़ी व्यापारी के साथ काम के सिलसिले में अंडमान निकोबार चला गया. करीब एक सप्ताह पहले बबंडरू समुद्री तल पर उसकी मुलाकात मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक रतन कुमार महतो से हुई.

दीरपू ने श्री महतो को अपनी पूरी कहानी बतायी. इच्छा जतायी कि उसे एक बार अपने गांव पहुंचाने की व्यवस्था कर दें. 1960 में वह अंडमान निकोबार चले गये थे. उसकी शादी भी नहीं हुई है. अब करीब 67 साल का हो गया है. जिस ठेकेदार के साथ वह गया था, उसका देहांत हो गया. ठेकेदार के परिजनों ने दीरपू को अपनाने से इनकार कर दिया. अब वह जैसे-तैसे अपना जीवन-यापन कर रहा है. उसने बताया कि 2005 में झारखंड जाने के लिए उन्होंने पैसा जमा किया था. सुनामी में उसका पैसा बह गया.

किसी तरह अपनी जान बचा सका. दीरपू कहता है कि मरने से पहले जन्मभूमि चला जाता तो, जीवन सार्थक हो जाता. परिवार में वह अपने भाई को छोड़ किसी को पहचानता भी नहीं है. फोन से वह अपने भाइयों के संपर्क में रहता है. अभी अंडमान में वह बंगाली आश्रम में रहता है.

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