इस दौरान आयोग के समक्ष 7781 मामले आये, जिनमें से संयुक्त सुनवाई के दौरान 5520 मामलों का निबटारा किया गया. उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल का सबसे बेहतर फैसला कम ही था. इनमें बरही के एक मामले में विधवा लड़की की शादी करा कर उसे सामाजिक मान्यता दिलवायी गयी. गढ़वा के एक मामले में परित्यक्ता पत्नी को रोजगार दिलाने में आयोग की भूमिका रही.
एक अन्य मामले में रेलवे के एक कर्मचारी को उसकी पत्नी के लिए 40 प्रतिशत गुजारा भत्ता देने का आदेश भी दिलवाया गया. इसमें सदस्य किरण कुमारी और शबनम परवीन की भी भूमिका रही.