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निराशाजक: झारखंड की पंचायतों का हाल, पैसा तो है, लेकिन विकास कार्य ठप

रांची: पंचायती राज विभाग ने राज्य की सभी 4402 पंचायतों में विकास कार्य के लिए तीन किस्तों में 326-326 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर दिये हैं. इस तरह सभी पंचायतों को अब तक करीब एक हजार करोड़ तथा एक पंचायत को अौसतन 22 लाख रुपये मिले हैं. 14वें वित्त आयोग से मिली रकम से […]

रांची: पंचायती राज विभाग ने राज्य की सभी 4402 पंचायतों में विकास कार्य के लिए तीन किस्तों में 326-326 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर दिये हैं. इस तरह सभी पंचायतों को अब तक करीब एक हजार करोड़ तथा एक पंचायत को अौसतन 22 लाख रुपये मिले हैं. 14वें वित्त आयोग से मिली रकम से यह पैसे दिये गये हैं. चौथी व अंतिम किस्त जारी होना बाकी है.

सरकार के फार्मूले के तहत कुल राशि का 90 फीसदी संबंधित जिले की जनसंख्या तथा 10 फीसदी क्षेत्रफल के आधार पर निर्गत हो रहा है. यानी ज्यादा जनसंख्या तथा बड़े क्षेत्रफल वाले जिलों को अधिक रकम मिल रही है. पैसे तो पंचायतों को भेज दिये गये हैं, पर वहां विकास कार्य लगभग ठप है. रांची जिले के नामकुम व अनगड़ा प्रखंड की पंचायतों में इस बात की पुष्टि हुई है. इधर काम नहीं हो रहा, उधर पंचायती राज विभाग के लगातार मांगने पर भी खर्च संबंधी रिपोर्ट नहीं दी जा रही है.

क्यों नहीं हो रहा काम : इसकी दो वजह सामने अायी है. अनगड़ा की प्रखंड प्रमुख अनिता गाड़ी के अनुसार पहले ग्राम सभा करके योजनाएं चयनित हो गयी थी. पर सरकार की अोर से कहा गया कि अब तीन वर्ष की योजनाअों के चयन के लिए होनेवाली विशेष ग्राम सभा के जरिये विकास योजनाएं तय होगी. यह काम भी हो गया, पर बीडीअो ने कहा है कि जब तक योजनाएं कंप्यूटर पर अपलोड नहीं होगी, तब तक काम रोका जाये. यही वजह है कि काम नहीं हो रहा है. उधर, नामकुम प्रखंड अंतर्गत टाटीसिलवे के टाटी पश्चिमी पंचायत के पंचायत समिति सदस्य शैलेश मिश्रा के अनुसार विशेष ग्राम सभा कर योजनाएं तय हो गयी है, पर जेइ व अन्य सरकारी पदाधिकारी काम की प्रक्रिया शुरू नहीं कर रहे. ज्यादातर मुखिया नये हैं, उन्हें काम कैसे शुरू होगा, यह नहीं मालूम है. वहीं पंचायत प्रतिनिधियों में भी समन्वय की कमी है. उधर, बीडीअो व अन्य सरकारी पदाधिकारी भी इसमें रुचि नहीं ले रहे. इन्हीं मिले-जुले कारणों से काम रुका है.

पैसा निजी खाते में : एक तरफ काम नहीं हो रहा, वहीं दूसरी अोर पंचायतों को भेजे गये पैसे निजी खाते में रखे गये हैं. पंचायती राज विभाग के एक अधिकारी के अनुसार कई पंचायतों का खाता पंचायत नहीं बल्कि मुखिया के नाम से खोला गया है. यही खाता संख्या विभाग को उपलब्ध कराया गया है. अभी यह स्पष्ट जानकारी नहीं है कि ऐसे कुल कितने पंचायत हैं. पर विभाग इसका पता लगा रहा है. उक्त अधिकारी के अनुसार पूरी जानकारी के बाद संबंधित मुखिया के खिलाफ कार्रवाई होगी.

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