मंत्री ने कहा कि कानून जितना सरल होगा, उसका लाभ लोगों को उतना ज्यादा मिलेगा. उन्होंने कहा कि आज लोग जागरूक हो गये हैं. ऐसे में अफसर जितना लोगों से मिल कर काम करेंगे, योजना की सफलता उतनी अधिक होगी. उन्होंने कहा कि आलोचना को स्वीकार कर हमें सुधार करने की जरूरत है. भोजन का अधिकार कानून बन गया है, हमें उसे जमीनी स्तर पर लागू करना है. मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार व इसके बाहर के अंग दोनों में सामंजस्य होगा, तभी सफलता हासिल होगी. देनेवाले व लेनेवाले के बीच कई कड़ी है, इसे ठीक करना होगा. मौके पर प्रो रमेश शरण ने कहा कि भोजन का अधिकार तभी सफल होगा, जब इससे जुड़े लोग संवेदनशील होंगे. यह स्थिति हो कि किसी आदमी को खाने की इच्छा हो, तो वह कभी भी खा सके. यानी भोजन की व्यवस्था उसके पास हो. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के लिए ही जन वितरण प्रणाली बनायी गयी है. जो राजनीतिक दल आता है, उसके लोग डीलर बन जाते हैं.
मौके पर पूर्व मुख्य सचिव सुधीर प्रसाद, विधायक गंगोत्री कुजूर, सूचना आयुक्त हिमांशु शेखर चौधरी, निदेशक भू अभिलेख व परिमाप राजीव रंजन, आरपी सिंह ने भी भोजन का अधिकार से संबंधित विषय पर अपनी बातें रखी. विष्णु राजगढ़िया ने अतिथियों का स्वागत किया. वहीं बलराम ने विषय प्रवेश कराया. कार्यक्रम का संचालन झारखंड फाउंडेशन के सचिव ऋषि पांडेय ने किया.