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घाटे में चल रहा झारखंड का पर्यटन उद्योग
रांची: राज्य का पर्यटन उद्योग घाटे में चल रहा है. बेमिसाल प्राकृतिक खूबसूरती के बावजूद पर्यटक झारखंड का रुख नहीं कर रहे हैं. अरबों रुपये खर्च कर तैयार की गयी आधारभूत संरचना से सरकार को सालाना 10 लाख रुपये का भी मुनाफा नहीं हो रहा है. पर्यटन से मिलनेवाले राजस्व का बड़ा हिस्सा आधारभूत संरचना […]
रांची: राज्य का पर्यटन उद्योग घाटे में चल रहा है. बेमिसाल प्राकृतिक खूबसूरती के बावजूद पर्यटक झारखंड का रुख नहीं कर रहे हैं. अरबों रुपये खर्च कर तैयार की गयी आधारभूत संरचना से सरकार को सालाना 10 लाख रुपये का भी मुनाफा नहीं हो रहा है.
पर्यटन से मिलनेवाले राजस्व का बड़ा हिस्सा आधारभूत संरचना के रख-रखाव पर ही खर्च हो जाता है. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए झारखंड सरकार द्वारा घोषित धार्मिक, सांस्कृतिक, ग्रामीण व खनन पर्यटन, इको और एडवेंचर टूरिज्म की योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए कुछ खास नहीं हो रहा है. वर्ष 2015 में राज्य सरकार ने पर्यटन नीति घोषित की. जल प्रपातों सहित अन्य मनोरम स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का फैसला किया, लेकिन इस पर कोई खास काम नहीं किया गया.
राज्य गठन के बाद से पर्यटन विभाग के लिए सालाना औसतन 25 करोड़ रुपये से अधिक का बजटीय प्रावधान नहीं किया गया. हालांकि यह राशि भी विभाग कभी खर्च नहीं कर सका. बाद में पर्यटन स्थलों को विकसित करने का काम केंद्रीय लोक उपक्रम को दे दिया गया. काफी कोशिशों के बाद जल प्रपात के पास गेस्ट हाउस बनाया गया,ताकि पर्यटक वहां रात में रुक सकें और आनंद ले सकें. पर, ज्यादातर पर्यटन स्थलों के पास बनाये गये गेस्ट हाउस में बिजली की व्यवस्था नहीं हो सकी है. इस कारण वहां करोड़ों की लागत से बने भवन बेकार पड़े हुए हैं.
पर्यटन स्थलों के प्रबंधन का काम आस-पास के गांव के लोगों को सौंपा गया, ताकि पर्यटकों के साथ स्थानीय स्तर पर किसी तरह की समस्या पैदा नहीं हो. सरकार की इस नीति से कुछ स्थानों पर स्थानीय स्तर पर पैदा होनेवाली समस्याएं कम हुई हैं. गिनती के लोगों को रोजगार भी मिला. पर, विधि व्यवस्था सहित सुरक्षा के अन्य कारणों से पर्यटकों का आना कम है.
सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एडवेंचर टूरिज्म की शुरुआत की थी. इसके तहत विभिन्न प्रकार की सामग्री की खरीद की गयी थी. डैम में शिकारा चलाने की योजना बनायी गयी थी. शिकारा खरीदा भी गया था. हालांकि सभी शिकारा चले बगैर ही गायब हो गये. महालेखाकार ने पिछले दिनों पर्यटन से जुड़ी गतिविधियों का आॅडिट किया और पर्यटन के नाम पर व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरतने का मामला पकड़ा. महालेखाकार ने पर्यटन विकास की योजनाओं में हुई गड़बड़ी को देखते हुए सरकार से निगरानी जांच कराने की अनुशंसा भी थी.
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