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असंवैधानिक कदम उठाने से झारखंड की सरकार को रोकें

रांची : सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन अध्यादेश का कई आदिवासी व सामाजिक संगठनों ने विरोध किया है. झाविमो नेता बाबूलाल मरांडी व बंधु तिर्की के नेतृत्व मेें आदिवासी संघर्ष मोरचा का प्रतिनिधिमंडल गुरुवार की शाम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिला और प्रस्तावित अध्यादेश का विरोध किया़ सदस्यों ने आग्रह किया कि राज्य सरकार […]

रांची : सीएनटी व एसपीटी एक्ट में संशोधन अध्यादेश का कई आदिवासी व सामाजिक संगठनों ने विरोध किया है. झाविमो नेता बाबूलाल मरांडी व बंधु तिर्की के नेतृत्व मेें आदिवासी संघर्ष मोरचा का प्रतिनिधिमंडल गुरुवार की शाम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिला और प्रस्तावित अध्यादेश का विरोध किया़ सदस्यों ने आग्रह किया कि राज्य सरकार को गैर संवैधानिक कदम उठाने से रोके़ं.

राष्ट्रपति श्री मुखर्जी को बताया कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट की कुछ धाराओं को छोड़ कर कानून को नौवीं सूची में रखा गया है़ इन धाराओं को संवैधानिक संरक्षण दिया गया है़ आदिवासी-मूलवासी के लिए जल, जंगल और जमीन आत्मा है़ नौवीं अनुसूची की धारा को अध्यादेश के माध्यम से संशोधित करना गैर संवैधानिक है़ राज्य सरकार को इसमें हेर-फेर का अधिकार नहीं है़ राज्य सरकार का कदम गैर संवैधानिक और गैर प्रजातांत्रिक है़

नेताओं ने राष्ट्रपति को बताया कि संशोधन में उद्योग और खनन के अलावा अनेक दूसरे प्रयोजन के लिए हस्तांतरण करने का अधिकार दिया जा रहा है़ आने वाले दिनों में इसका दुरुपयोग होगा. सरकार की मंशा सही नहीं है़ सरकार पूंजीपतियों और भू-माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए अध्यादेश लाना चाहती है़ संघर्ष माेरचा के नेताओं ने टीएसी की बैठक में संशोधन के लिए अध्यादेश लाये जाने संबंधी तथ्यों से अनभिज्ञता जाहिर की है़ उन्होंने कहा कि विधानसभा का मॉनसून सत्र आहूत होने वाला था, लेकिन उसी दिन राज्यपाल के पास संशोधन अध्यादेश स्वीकृति के लिए भेज दिया गया़ संघर्ष मोरचा के नेताओं ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि अध्यादेश को वापस लें. प्रतिनिधिमंडल में 39 संगठनों के लोग शामिल थे़ प्रतिनिधिमंडल में डॉ करमा उरांव, विशप बास्की, विशप दुलार लकड़ा, विशप जोहेन डांग, डॉ प्रकाश उरांव, सुशील उरांव, प्रवीण उरांव, वीरेंद्र भगत, प्रेमशाही मुंडा, दर्शन गंझू, अटल खेस, राजकुमार नागवंशी, शिवा कच्छप आदि शामिल थे.

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