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राजहारा कोलियरी: हाइकोर्ट ने सुनाया फैसला, 24 साल बाद मिला 256 वैगन लोडरों को न्याय

रांची: पलामू जिला के राजहारा कोलियरी के 256 कैजुअल वैगन लोडरों को 24 साल की कानूनी लड़ाई के बाद न्याय मिला है. इस दौरान 181 वैगन लोडर रिटायर हो गये. 38 की मौत हो गयी. फिलहाल 37 वैगन लोडर कार्यरत हैं. राजहारा कोलियरी मजदूर संघ के अध्यक्ष सत्यपाल वर्मा (83 वर्षीय) ने हाइकोर्ट से लेकर […]

रांची: पलामू जिला के राजहारा कोलियरी के 256 कैजुअल वैगन लोडरों को 24 साल की कानूनी लड़ाई के बाद न्याय मिला है. इस दौरान 181 वैगन लोडर रिटायर हो गये. 38 की मौत हो गयी. फिलहाल 37 वैगन लोडर कार्यरत हैं. राजहारा कोलियरी मजदूर संघ के अध्यक्ष सत्यपाल वर्मा (83 वर्षीय) ने हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मजदूरों की लड़ाई लड़ी. हाइकोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने के बाद इन्हें 16 सितंबर को न्याय मिला.

हाइकोर्ट ने कैजुवल वैगन लोडरों को 29 अप्रैल 1991 से स्थायी मानते हुए सुविधाएं प्रदान करने का निर्देश दिया है. सीसीएल प्रबंधन को दो माह के अंदर बकाये भुगतान की प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है. हाइकोर्ट में सीसीएल प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि केंद्रीय औद्योगिक न्यायाधीकरण की ओर से दिये गये आदेश के तहत इनके स्थायीकरण व बकाये भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है.

अवमानना याचिका दायर होने के बाद शुरू हुई प्रक्रिया
राजहारा कोलियरी मजदूर संघ के अध्यक्ष सत्यपाल वर्मा, पूर्व मंत्री सुधा चौधरी ने बुधवार को रांची में पत्रकारों को बताया कि धनबाद लेबर कोर्ट ने वर्ष 2000 में कैजुअल वैगन लोडरों को 29 अप्रैल 1991 से स्थायीकरण व इसी तिथि से विभिन्न मद के बकाये भुगतान का निर्देश सीसीएल प्रबंधन को दिया था. सीसीएल प्रबंधन की ओर से इस आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी. जस्टिस एनएन तिवारी की अदालत ने सीसीएल की याचिका को खारिज करते हुए लेबर कोर्ट के आदेश को बहाल रखा. इस आदेश के खिलाफ सीसीएल प्रबंधन ने खंडपीठ में अपील याचिका दायर की. यहां से भी याचिका खारिज होने के बाद सीसीएल प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट से हारने के बाद भी सीसीएल प्रबंधन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाया गया. अंतत: संघ के 83 वर्षीय अध्यक्ष सत्यपाल वर्मा ने हाइकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन कराने का आग्रह किया.

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