!!अमिताभ कुमार!!
रांची : उत्तरी कश्मीर के उरी में रविवार की सुबह साढ़े पांच बजे भारी हथियारों से लैस आतंकियों ने 12 ब्रिगेड मुख्यालय के समीप सेना के आधार शिविर (आर्मी बेस)पर तब हमला कर दिया, जब सेना के जवान सो रहे थे. इस हमले में 17 जवान शहीद हो गए. इन शहीदों में दो झारखंड के हैं. पहले शहीद का नाम सिपाही जावरा मुंडा है जो खूंटी (मुरहू थानाक्षेत्र के मेराल गांव) के हैं जबकि दूसरे शहीद का नाम सिपाही नायमन कुजूर है जिनका संबंध गुमला (चैनपुर थाना क्षेत्र के कुरूमगढ़) से है.
नायमन कुजूर का परिवार राजधानी रांची के खोरहाटोली (कोकर इलाका) में रहता है. घर में पत्नी, मां और एक छोटा बच्चा है. रांची में परिवार एक किराये के मकान में रहता है. नायमन की पत्नी वीणा ने सरकार के प्रति हमले को लेकर रोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि सरकार कुछ नहीं कर रही है. मैं चाहती हूं कि सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसा कृत्य करने का साहस कोई न कर सके. रोती हुई वीणा ने कहा कि कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या कहूं….. लेकिन ऐसा लग रहा है कि मैं खुद जाऊं और उन आतंकियों को गोली मार दूं…. कुछ तो ठोस करने की जरूरत है……
हमले के पहले सुबह के काम में व्यस्त थे नायमन
नायमन की पत्नी वीणा की दोस्त शालिनी (जिनके पति भी बिहार रेजिमेंट में कार्यरत हैं ) ने बताया कि हमले के बाद उनकी अपने पति से बात हुई. बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि सुबह का वक्त था और नायमन उठकर अपने सुबह के काम में व्यस्त थे तभी ग्रेनेड हमला हुआ जिसमें वह शहीद हो गये. शालिनी ने कहा कि मोदी सरकार को सोचना चाहिए कि हम इतनी कम उम्र में विधवा हो जाते हैं. हमारे बच्चे अनाथ हो जाते हैं… बात से कुछ नहीं होगा. कठोर कदम उठाने की जरूरत है. हम चाहते हैं कि पाकिस्तान को सबक सिखाया जाए लेकिन इससे किसी को नुकसान न पहुंचे, न भारत की जनता को और ना ही पाकिस्तान की जनता को… नागरिक दोनों ओर के सुरक्षित रहें…उन्होंने कहा कि उरी में सद्भावना स्थापित हो.
हंसमुख किस्म का था व्यक्तिव
नायमन की भतीजी करिश्मा ने कहा कि वह काफी हंसमुख व्यक्ति थे. जब वे छुट्टी में घर आते थे तो वे घंटों हमारे साथ बातचीत करते थे. वे ज्यादा समय अपने बेटे के साथ बिताते थे जो मात्र तीन साल का है. करिश्मा रांची में ही नायमन के पड़ोस में रहती है. उसने बताया कि वह 14 अगस्त को ही दोबारा जल्द छुट्टी में रांची आने का वादा करके घर सेमोर्चे पर गये थे. क्या पता था कि उनसे दोबारा मुलाकात नहीं होगी… करिश्मा ने बताया कि मौसा ने अंतिम बार शनिवारको फोन किया था.
कुछ अलग था नायमन में
नायमन की मकान मालकिन आनंदनी ने बताया कि नायमन में कुछ अलग था.उन्होंने कहा कि उनकी हर बात उन्हें अच्छी लगती थी. वह हमेशा देशभक्ति की बातें किया करता था. पिछली बार जब वह रांची आया तो उससे कई मुद्दों पर बातें हुई. उसकी शहादत देश हमेशा याद रखेगा. उन्होंने कहा कि देश के लिए जान देने से बड़ा कोई काम नहीं… नायमन के दोस्त आलोक ने बताया कि बात-विचार में वह काफी अच्छा था. उसकी शहादत बेकार नहीं जानी चाहिए…