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निर्माण व सृजन के देवता हैं भगवान विश्वकर्मा

रांची: हिंदू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है़ मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था़ विश्वकर्मा हस्तलिपि कलाकार थे, जिन्होंने हम सभी को कला का ज्ञान दिया. साधन, औजार, युक्ति व निर्माण के देवता विश्वकर्मा जी के विषय में अनेकों भ्रांतियां हैं. बहुत से […]

रांची: हिंदू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है़ मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था़ विश्वकर्मा हस्तलिपि कलाकार थे, जिन्होंने हम सभी को कला का ज्ञान दिया. साधन, औजार, युक्ति व निर्माण के देवता विश्वकर्मा जी के विषय में अनेकों भ्रांतियां हैं. बहुत से विद्वान विश्वकर्मा नाम को एक उपाधि मानते हैं, क्योंकि संस्कृत साहित्य में भी समकालीन कई विश्वकर्माओं का उल्लेख है.

कालांतर में विश्वकर्मा एक उपाधि हो गयी थी, परंतु इसका यह अर्थ नहीं कि मूल पुरुष या आदि पुरुष हुआ ही न हो. विद्वानों में मतभेद इस पर भी है कि मूल पुरुष विश्वकर्मा कौन हुए. कुछ विद्वान अंगिरा पुत्र सुधन्वा को आदि विश्वकर्मा मानते हैं, तो कुछ भुवन पुत्र भौवन विश्वकर्मा को आदि विश्वकर्मा मानते है़ं ऋगवेद में विश्वकर्मा सूक्त के नाम से 11 ऋचाएं लिखी हुई है़ं

इसके प्रत्येक मंत्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता आदि. यही सूक्त यजुर्वेद के अध्याय 17, सूक्त मंत्र 16 से 31 तक 16 मं त्रों में आया है. ऋगवेद में विश्वकर्मा शब्द का एक बार इंद्र व सूर्य का विशेषण बन कर भी प्रयोग हुआ है. परवर्ती वेदों में भी विशेषण रूप में इसके प्रयोग नहीं है.
क्यों किया जाता है विश्वकर्मा पूजन
पूर्व और उत्तर भारत में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है. इस दिन सभी कार्यस्‍थलों, फैक्ट्ररियों, माइंस, कंपनियों आदि में मशीनों, औजारों आदि की पूजा की जाती है. माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा एक देवता थे,

जिन्होंने इस संसार को बनाया. वह भगवान ब्रह्म के पुत्र थे और ईश्वर के रहनेवाले सभी स्‍थानों का निर्माण भी उन्‍होंने ही किया था. ईश्वर के उड़नेवाले विमानों का निर्माण भी विश्‍वकर्मा ने ही किया था. ईश्वरों के सभी शस्‍त्राें को भी विश्वकर्मा देवता ने बनाया था. हिंदुशासूत्रों की मानें, तो देवता विश्वकर्मा आज के युग की भाषा में इंजीनियर थे. विश्वकर्मा पूजन का दिन उन्हीं को समर्पित है. इस दिन सभी कार्यों को बंद कर उनकी पूजा की जाती है और ज्यादा समृद्धि की कामना की जाती है़ .
विश्वकर्मा पूजन से जुड़ी कहानियां
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्माको देव शिल्पी के नाम से जाना जाता है. ऋगवेद में भगवान विश्वकर्मा का वर्णन अच्‍छी तरह किया गया है़ ऐसा माना जाता है कि सभी पौराणिक संरचनाएं भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित है़ भगवान विश्वकर्मा का जनम देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से उत्पन्न हुआ माना जाता है. पौराणिक युग के अस्त्र और शस्त्र भगवान विश्वकर्माद्वारा ही बनाये गये हैं. वज्र का निर्माण भी उन्‍होंने ही किया था़ माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही लंका का निर्माण किया था़ इसके पीछे कहानी है कि भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए एक महल का निर्माण करने के लिए भगवान विश्वकर्मा को कहा, तो भगवान विश्वकर्मा ने सोने का महल बना दिया़ इस महल के पूजन के दौरान भगवान शिव ने राजा रावण को आंमत्रित किया़
रावण महल को देख कर मंत्रमुग्ध हो गया और जब भगवान शिव ने उससे दक्षिणा में कुछ लेने को कहा, तो उसने महल ही मांग लिया़ भगवान शिव ने उसे महल दे दिया और वापस पर्वतों पर चले गये.

इसी प्रकार भगवान विश्वकर्मा की एक कहानी और है- महाभारत में पांडव जहां रहते थे, उस स्थान को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था. इसका निर्माण भी विश्वकर्मा ने किया था़ कौरव वंश के हस्तिनापुर और भगवान कृष्ण के द्वारका का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया था़ अत: विश्वकर्मा पूजन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित एक दिन है़ इस दिन का औद्योगिक जगत और भारतीय मजदूरों, इंजीनियर्स आदि के लिए खास महत्व है.
भारत के कई हिस्सों में इस दिन औद्योगिक संस्थानों में काम बंद रखा जाता है़

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