इसमें यह कहा गया है कि अभियुक्त पथ निर्माण विभाग में लिपिक के पद पर कार्यरत है. सरकारी नौकरी में आने के बाद वह ज्यादा समय तक अलग-अलग मंत्रियों के साथ उनके विशेष कार्य पदाधिकारी या अन्य रूप में काम करता रहा. उसने झारखंड के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही के ओएसडी के रूप में काम किया. प्राथमिकी में कहा गया है कि उसने अपने सेवाकाल में नाजायज तरीका अपना कर पैसे कमाये और अपनी नाजायज कमाई को जायज करार देने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाये.
उसने पत्नी आशा मालवीय के नाम पटना में जमीन खरीदी और मकान बनवाये. साथ ही रंजना मालवीय के नाम पर रांची में फ्लैट और जमीन खरीदे. इडी ने मालवीय द्वारा मनी लाउंड्रिंग के सहारे अर्जित संपत्ति का कागजी मूल्य विभाग ने 42 लाख रुपये आंका है. सीबीआइ ने इससे पहले भी इस पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री को मनी लाउंड्रिंग में मदद करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है. इस अभियुक्त के खिलाफ सीबीआइ और एंटी करप्शन ब्यूरो में भी प्राथमिकी दर्ज है.