चिंताजनक : ”विल्सन” की दवा पेनीसिलामाइन बाजार से गायब

झारखंड सहित देश भर के मरीजों पर संकट चतरा की दो बेटियों की जान भी आफत में रांची : विल्सन नाम की बीमारी की दवा पेनीसिलामाइन झारखंड में नहीं मिल रही है. यह दवा देश के बाहर से मंगायी जाती है. इस दवा की कमी पिछले तीन-चार माह से बनी हुई है. इधर, इस जानलेवा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 26, 2016 1:32 AM
झारखंड सहित देश भर के मरीजों पर संकट
चतरा की दो बेटियों की जान भी आफत में
रांची : विल्सन नाम की बीमारी की दवा पेनीसिलामाइन झारखंड में नहीं मिल रही है. यह दवा देश के बाहर से मंगायी जाती है. इस दवा की कमी पिछले तीन-चार माह से बनी हुई है. इधर, इस जानलेवा बीमारी की दवा न मिलने से कई मरीजों की जान को खतरा बना हुआ है.
चतरा निवासी मो हाफिज की दो बेटियां गत 15 वर्षों से इस बीमारी से जूझ रही हैं. मो हाफिज रांची की बड़ी दवा दुकानों सहित कुछ माह पहले दिल्ली में भी यह दवा खोज चुके, लेकिन दवा नहीं मिल रही है. करीब 25 व 20 वर्षीय इन दोनों लड़कियों का इलाज रिम्स के डॉ डीके झा कर रहे हैं. उन्होंने भी सरकार सहित सुधी लोगों से यह दवा तत्काल उपलब्ध कराने का आग्रह किया है. अभी यह स्पष्ट नहीं है कि दवा की कमी का कारण क्या है.
बदतर तो यह है कि इससे पहले मो हाफिज के दो बच्चों (एक बेटा व एक बेटी) की मौत इसी बीमारी से हो चुकी है. हाफिज ने कहा कि दवा न मिलने से बच्चियों के हाथ-पैर कांपते हैं. तथा बाद में बिस्तर से उठना भी मुश्किल हो जाता है.
क्या है विल्सन डिजीज
डॉ झा के अनुसार इस बीमारी में दिमाग, लिवर तथा आंख सहित शरीर के अन्य भागों में कॉपर (तांबा) की ज्यादा मात्रा इकट्ठा हो जाती है. ज्यादातर मामलों में यह बीमारी वंशानुगत होती है.
दरअसल यह कॉपर हमें अपने भोजन से मिलता है. पर जरूरत से अधिक इसकी मात्रा विष का काम करती है. शरीर में अतिरिक्त कॉपर को फिल्टर करने का काम लिवर करता है. पर विल्सन बीमारी से पीड़ित व्यक्ति में लिवर यह काम करना बंद कर देता है. इससे कॉपर शरीर के विभिन्न भागों में जमा हो जाता है. पेनीसिलामाइन से अतिरिक्त कॉपर शरीर से बाहर निकल जाता है. पर यही दवा नहीं मिल रही.
40 से 50 हजार मरीज
विल्सन डिजीज से पीड़ित करीब पांच लोगों का इलाज कर रहे डॉ डीके झा के अनुसार देश भर में इसके 40 से 50 हजार मरीज हो सकते हैं. इनमें सात वर्ष से लेकर अधिक उम्र वाले मरीज हैं. हर जीवित मरीज इसी दवा पेनीसिलामाइन पर निर्भर रहता है. इसलिए यदि इसकी कमी बनी रही, तो इन सभी मरीजों की जान धीरे-धीरे जा सकती है.

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