7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सरना धर्म कोड के लिए लड़ेंगे लड़ाई

सरना धर्म सांस्कृतिक धरोहर बचाअो सम्मेलन में धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा सम्मेलन में नेपाल, अोड़िशा, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल सहित झारखंड के सरना धर्म अगुवा व जिला प्रतिनिधि शामिल हुए मांडर : मुड़मा स्थित ऐतिहासिक पाड़हा जतरा भक्ति स्थल पर गुरुवार को सरना धर्म सांस्कृतिक धरोहर बचाओ सम्मेलन सह सरना प्र्रार्थना सभा का आयोजन […]

सरना धर्म सांस्कृतिक धरोहर बचाअो सम्मेलन में धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा
सम्मेलन में नेपाल, अोड़िशा, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल सहित झारखंड के सरना धर्म अगुवा व जिला प्रतिनिधि शामिल हुए
मांडर : मुड़मा स्थित ऐतिहासिक पाड़हा जतरा भक्ति स्थल पर गुरुवार को सरना धर्म सांस्कृतिक धरोहर बचाओ सम्मेलन सह सरना प्र्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. इसमें नेपाल सहित झारखंड, अोड़िशा, छत्तीसगढ़ व पश्चिम बंगाल से आये सरना धर्म अगुवा व जिला प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा की राष्ट्रीय समिति की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि धर्म व समाज के बिना मानव जीनव की कल्पना नहीं की जा सकती है. जो व्यक्ति धर्म व समाज के साथ नहीं चलता है, उसका पतन हो जाता है.
उन्होंने कहा कि राजी पाड़हा सरना प्रार्थना सभा द्वारा पिछले 20 वर्ष से सरना धर्म का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है. जिसके फलस्वरूप 2001 की जनगणना में झारखंड में सरना धर्मावलंबियों की जनसंख्या जो करीब 40 लाख 75 हजार 4600 थी, वह 2011 की जनगणना में 79 लाख से अधिक हो गयी. बंधन ने कहा कि धार्मिक चेतना व एकता की कमी के कारण अशिक्षा, डायन बिसाही, नशापान, गरीबी व अंधविश्वास जैसी कुरीतियां समाज को खोखला कर रही है. जिस दूर करने व जनगणना कॉलम में अलग से सरना धर्म कोड की मांग को लेकर हमें लंबी लड़ाई लड़नी है.
समिति के सलाहकार डॉ करमा उरांव ने कहा कि पूरे देश में आदिवासियों की जनसंख्या करीब 13 करोड़ है, लेकिन वर्तमान जणगणना में इसे मात्र डेढ़ करोड़ ही दिखाया गया है. इसी तरह झारखंड में करीब 76 लाख आदिवासी है, लेकिन इसमें 42 लाख का ही नाम सरना आदिवासी में दर्ज है. उन्होंने कहा कि वर्षों से सरकार से सरना धर्म कोड की मांग की जा रही है.
डॉ उरांव ने कहा कि सरकार झारखंड को पूंजीपतियों का चारागाह बनाने का प्रयास कर रही है. जिसे बरदाश्त नहीं किया जायेगा. समिति के महासचिव प्रो प्रवीण उरांव ने कहा कि अब आदिवासी समुदाय के लोग सरना धर्म को लेकर बेहद जागरूक हो गये हैं. समिति के राष्ट्रीय सलाहकार विद्या सागर केरकेट्टा ने कहा कि मुड़मा जतरा स्थल के आसपास की 40 एकड़ भूमि के रैयतों को सरकार मुआवजा देकर अविलंब इसका स्वामित्व सरना प्रार्थना सभा को दे. सम्मेल्लन में बंगाल के धर्म अगुआ जीतु उरांव सहित संतोष तिर्की, सुखराम लकड़ा, धर्मदेव उरांव, राजेश मुंडा ने भी विचार व्यक्त किये.
संचालन एतो उरांव व शिव उरांव तथा धन्यवाद ज्ञापन अोड़िशा के धर्म अगुआ मिटकु उरांव ने किया. मौके पर मिटकु भगत, डीडी तिर्की, नीरज मुंडा, बालकृष्ण एक्का, जीतू उरांव, सोमे उरांव, मणिलाल केरकेट्टा, राजेश खलखो, बहन कमले, पार्वती उरांव, अनिल उरांव, रंथु उरांव, सहदेव उरांव, शीला उरांव, विसुर चंद्र कंडीर, चिंतामणि उरांव, गौतम उरांव, राधा तिर्की, एतवा उरांव, बुधवा उरांव, सरयू उरांव सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे.
नौ सूत्री प्रस्ताव पारित : सम्मेलन में सरना धर्म कोड, सरना धार्मिक न्यास बोर्ड का गठन सहित आदिवासी समुदाय के हित के लिए नौ प्रस्ताव पारित किया गया. उपस्थित लोगों को अपनी भाषा में बोलने, सरना स्थलों की सुरक्षा, सामाजिक कुरीतियों को दूर करने आदि की शपथ दिलायी गयी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें