इस कारण बैंकों के पास करोड़ों के लोन के प्रस्ताव पड़े हैं. इनमें सबसे अधिक हाउसिंग लोन के प्रस्ताव हैं. एक अनुमान के अनुसार, राज्य में एक हजार करोड़ से अधिक के लोग के प्रस्ताव बैंकों के पास पड़े हुए हैं. वहीं घर बनाने को इच्छुक लोग रजिस्ट्री कार्यालय और बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं. पर बैंक की ओर से उन्हें कोई आश्वासन नहीं िमल रहा है.
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झारखंड: नहीं मिला रजिस्ट्री डीड का बैकअप, लोग परेशान बैंकों ने एक हजार करोड़ से अधिक का लोन रोका
रांची: राज्य भर के निबंधन कार्यालयों के कंप्यूटर से रजिस्ट्री डीड गायब (डिलीट) हो जाने के कारण जमीन मॉर्गेज के एवज में कोई लोन नहीं मिल रहा है. बैंकों ने करीब ढाई माह से इंडस्ट्री लोन, ट्रेडिंग लोन व हाउसिंग लोन देना बंद कर दिया है, क्योंकि उन्हें जमीन मॉर्गेज के लिए आवश्यक नन इंकंब्रेस […]
रांची: राज्य भर के निबंधन कार्यालयों के कंप्यूटर से रजिस्ट्री डीड गायब (डिलीट) हो जाने के कारण जमीन मॉर्गेज के एवज में कोई लोन नहीं मिल रहा है. बैंकों ने करीब ढाई माह से इंडस्ट्री लोन, ट्रेडिंग लोन व हाउसिंग लोन देना बंद कर दिया है, क्योंकि उन्हें जमीन मॉर्गेज के लिए आवश्यक नन इंकंब्रेस रजिस्ट्री कार्यालय से प्राप्त नहीं हो रहे हैं.
एसबीआइ निकाल रहा है समाधान
भारतीय स्टेट बैंक इस समस्या से निबटने की तैयारी में जुटा है. इसके लिए कुछ मापदंड तय किये जा रहे हैं. यह निर्देश दिये जा रहे हैं कि कुछ मामलों में शाखा प्रबंधक आश्वस्त होकर ही लोन दें. उन्हें ऋण लेनेवालों व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी हासिल करनी होगी. उनकी साख व आय देख कर ऋण आवंटन किया जायेगा. बाद में नन इंकंब्रेस ले लिया जायेगा.
एसएलवीसी की बैठक में उठा था मामला
बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह बड़ी समस्या है. इस मुद्दे को उन्होंने राज्यस्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलवीसी) की बैठक में उठाया था. बैठक में मुख्य सचिव भी थीं. उस वक्त सबने कहा था कि समस्या का हल शीघ्र कर लिया जायेगा, लेकिन कोई समाधान नहीं हो सका.
झूठ बोलते रहे अफसर
इधर रजिस्ट्री अॉफिस में अफसर लैंड रिकॉर्ड्स को लेकर लगातार झूठ बोल रहे हैं. कोई भी अपने डीड की कॉपी या नन इंकंब्रेस के लिए जाता है, तो उसे दो-चार दिनों में हालात सुधर जाने की बात कह कर भेज दिया जाता है. ऐसा करते-करते ढाई माह हो गये हैं. अब तक डीड का बैक अप (कंप्यूटर) नहीं लाया जा सका.
क्या कहते हैं बैंक अधिकारी
बैंक अॉफ इंडिया के जोनल मैनेजर शंकर प्रसाद ने कहा कि दो-ढाई माह से बहुत दिक्कतें हो रही हैं. सभी प्रकार के लोन फंस गये हैं. जमीन मॉर्गेज रख कर कोई भी लोन नहीं दे पा रहे हैं. समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. लंबे समय से यह स्थिति होने के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही है.
क्या कहते हैं भुक्तभोगी
व्यापारी रविभूषण डेढ़ माह से व्यापार के लिए ऋण को लेकर दौड़ रहे हैं. उन्हें कपड़ा का व्यापार करना है. इसके लिए एक कंपनी की फ्रेंचाइजी भी ले रखी थी. वह कहते हैं : नन-इंकंब्रेंस नहीं मिलने से उन्हें लोन नहीं मिल पा रहा है. काफी तनाव में हैं. कागजी प्रक्रिया के चक्कर में वह बेवजह पीस रहे हैं.
हार्डकॉपी और सीडी से भी अब तक नहीं िकया जा सका है डीड अपलोड
राज्य के सभी निबंधन कार्यालय में रजिस्ट्री डीड का कंप्यूटरीकरण किया गया था. सारे दस्तावेज कंप्यूटर में अपलोड कर दिये गये थे. सिस्टम अॉनलाइन करने की दिशा में यह कार्रवाई की गयी थी. पर अचानक 2008 से लेकर जून 2016 तक के सारे दस्तावेज कंप्यूटर से डिलीट हो गये. काफी प्रयास के बाद इसे रि-स्टोर नहीं किया जा सका. कर्मी कहते रहे कि बैक अप लाने का प्रयास हो रहा है. जैप आइटी की टीम लगी है. जल्द बैकअप आ जायेगा. बाद में यह कहना शुरू किया कि इसकी हार्डकॉपी व सीडी है. उससे अपलोड कर देेंगे, पर समय लगेगा. यह भी नहीं हुआ. अभी सब असमंजस में है. किसी को भी अपनी जमीन का डीड व संबंधित कागजात रजिस्ट्री कार्यालय से नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से नन इंकंब्रेंस भी देना रजिस्ट्री कार्यालय के लिए संभव नहीं हो रहा है.
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