रांची:मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने बच्चों से काम करानेवालों पर सीजेआइ कोर्ट में मामला दर्ज कराने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि जिन नियोजकों द्वारा बाल श्रम कराया जा रहा है, उनसे इस अपराध के लिए निर्धारित 20 हजार रुपये की वसूली सुनिश्चित करें तथा चाइल्ड वेलफेयर के माध्यम से मुक्त कराये गये बच्चों के खातों में उक्त राशि का हस्तांतरण करें. श्रीमती राजबाला शनिवार को श्रम नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग की समीक्षा कर रहीं थीं.
उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिले के श्रम पदाधिकारी को निर्देश दिया. श्रीमती वर्मा ने सभी श्रम अधीक्षकों को निर्देश दिया कि राज्य के पांच जिलों में बाल श्रम को लेकर विशेष जांच की जाये. साथ ही बाल श्रमिक मुक्त झारखंड के लिए एक से 15 सितंबर तक अभियान चलायें. उन्होंने अब तक छुड़ाये गये बच्चों की स्थिति के बारे में जानकारी ली. विभाग द्वारा जानकारी दी गयी कि बीते 15 दिनों में विभिन्न जिलों में बाल श्रम को लेकर चलाये गये अभियान के तहत अब तक 3654 जगहों का निरीक्षण कर 233 बच्चों को मुक्त कराया गया है.
मुख्य सचिव ने असंगठित एवं भवन निर्माण से जुड़े मजदूरों के निबंधन के लिए जिलावार कार्य योजना तैयार कराने को कहा है. 30 नये आइटीआइ का संचालन जल्द करने को कहा है. बैठक में प्रधान सचिव एसकेजी रहाटे सहित कई विभागीय पदाधिकारी मौजूद थे.
खूंटी, गुमला व सिमडेगा में स्थिति खराब : मुख्य सचिव ने कहा कि खूंटी, गुमला व सिमडेगा मेें बच्चियों के पलायन की स्थिति दयनीय है. तीनों जिलों के प्रत्येक गांव की सूची तैयार करें तथा उसका डाटाबेस बनायें कि किस गांव से कितनी बच्चियों का पलायन हुआ है. जानकारी दी गयी कि सिमडेगा से पलायन करनेवाले 10 हजार मजदूरों का डाटा बेस तैयार है.
बीड़ी मजदूरों की आर्थिक स्थिति की समीक्षा : मुख्य सचिव ने बीड़ी मजदूरों की आर्थिक स्थिति पर कहा कि बीड़ी मजदूरों से संबंधित जितनी भी न्यूनतम मजदूरी की अवहेलना के दावे दायर हैं, उनकी सुनवाई तेजी से करें. विभाग द्वारा बताया कि अब तक छह जिलों में 3967 बीड़ी श्रमिकों के दावे दायर किये गये हैं. सीएस ने सभी बीड़ी मजदूरों का बैंक खाता खुलवा कर भुगतान सुनिश्चित कराने को कहा.