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रांची में 350 से ज्यादा एटीएम लेकिन आधी से ज्यादा बेदम

एटीएम (आॅटोमेटेड टेलर मशीन) आज हर खास-ओ-आम की जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन चुका है. इस मशीन को इसलिए बनाया गया था, ताकि लोगों को नगदी लेकर चलने की झंझट से मुक्ति मिल सके. हालांकि, राजधानी रांची और इस जिले में विभिन्न बैंकों द्वारा स्थापित एटीएम की स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं है. देखरेख के अभाव […]

एटीएम (आॅटोमेटेड टेलर मशीन) आज हर खास-ओ-आम की जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन चुका है. इस मशीन को इसलिए बनाया गया था, ताकि लोगों को नगदी लेकर चलने की झंझट से मुक्ति मिल सके. हालांकि, राजधानी रांची और इस जिले में विभिन्न बैंकों द्वारा स्थापित एटीएम की स्थिति ज्यादा बेहतर नहीं है. देखरेख के अभाव में आधे से ज्यादा एटीएम काम ही नहीं करते हैं. वहीं, ज्यादातर एटीएम में अव्यवस्था का आलम रहता है. जो एटीएम काम करते भी हैं, उनमें समय पर कैश डिपोजिट न होना या हजार और पांच सौ के नोट निकालने की बाध्यता होती है. ऐसे में कई बार पैसे निकालने के लिए लोगों को एक से ज्यादा एटीएम के चक्कर काटने पड़ते हैं. जाहिर है कि इस स्थित में लोग संबंधित बैंक और सरकारी तंत्र को कोसते नजर आते हैं.

रांची : राजधानी रांची समेत पूरे जिले में विभिन्न बैंकों की करीब 350 एटीएम हैं, लेकिन इन सभी की सुरक्षा और मेंटिनेंस भगवान भरोसे है. अधिकांश एटीएम की सुध लेनेवाला कोई नहीं है. न तो यहां सुरक्षा गार्ड हैं और न ही समय पर साफ-सफाई होती है. एसी काम नहीं करता और केबिन के दरवाजे भी टूटे हुए हैं. कई एटीएम के पास ही कचरे का ढेर पड़ा रहता है.

इन सबके अलावा ज्यादातर एटीएम में लिंक फेल होने, समय पर कैश डिपॉजिट न होने, पैसे निकालने के बाद परची नहीं निकलने की शिकायतें आम हैं. ऐसे में लोग एटीएम कार्ड लेकर एक जगह से दूसरी जगह भटकते नजर आते हैं. वहीं, कई बैंकों की एटीएम से पैसा निकालने के बाद अगले दिन ग्राहक के मोबाइल पर एसएमएस आता है.

पुरानी एटीएम की वजह से परेशान होते हैं ग्राहक

कई जगहों पर पुरानी एटीएम को बदला नहीं जाता है. इससे अक्सर लोगों को परेशानी होती है. सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि ग्राहक का एटीएम कार्ड नया हो तो भी मशीन उसे ठीक तरीके से रीड नहीं करती है, जिससे पैसे निकालने का प्रोसेस पूरा नहीं हो पाता है. ऐसी एटीएम से रुपये निकालने के लिए लोगों को कई बार कोशिश करनी पड़ती है.

एक एटीएम में घुस जाते हैं एक से अिधक लोग

अगर एक केबिन में दो एटीएम लगी हैं, तो दो लोग एक साथ जा सकते हैं, लेकिन नियमानुसार एक एटीएम वाली केिबन में एक बार में एक ही ग्राहक जाएगा. उस समय केबिन में दूसरा व्यक्ति नहीं जा सकता है. ये निर्देश एटीएम केबिन पर चस्पां नोटिस में भी लिखा होता है. इसके बावजूद एक एटीएम केबिन में एक बार में कई लोग चले जाते हैं. यह भी बैंकों की लचर व्यवस्था के कारण ही होता है. कई एटीएम में सुरक्षा गार्ड नहीं रहते और जहां रहते हैं, वे कुछ बोलते नहीं. इस अव्यवस्था के कारण ही कई बार एटीएम फ्रॉड की घटनाएं होती हैं.

कई जगहों पर पैसे की बचत करने के लिए सुरक्षा गार्ड नहीं रखा जाता है. कंप्लेन बुक नहीं मिलता नहीं सुनी जाती शिकायत. एटीएम से पैसा निकालने के दौरान कई बार लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कई बार फटे और रंगे हुए नोट निकलते हैं या एटीएम ठीक से काम नहीं करती तो ग्राहक केबिन में रखी कंप्लेन बुक में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है. हालांकि, राजधानी की ज्यादातर एटीएम केबिन में मौजूद गार्ड लोगों

को कंप्लेन बुक देने में अनाकानी करते हैं. अगर कहीं कंप्लेन बुक उपलब्ध करा भी देंगे, तो ग्राहक की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. शिकायत करने वाले ग्राहकों से बैंक कोई प्रतिनिधि संपर्क नहीं करता है. एटीएम से नोट कटा-फटा मिल जाए, तो बैंक इसे लेने से साफ इनकार करते हैं. वह साफ कहते हैं कि यह उनकी एटीएम से नहीं निकला है. ऐसे में ग्राहक चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते हैं.

कहीं नहीं हैं रैंप, दिव्यांगों को होती है दिक्कत

बैंकों में एटीएम के प्रवेश द्वार पर रैंप की व्यवस्था करनी है, ताकि दिव्यांग को कोई परेशानी न हो और वे आसानी से एटीएम कक्ष तक पहुंच सकें. हालांकि, इस मामले में भी बैंकों की ओर से कोई खास ध्यान नहीं दिया जाता है.

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