सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा गिरावट लौह अयस्क से मिलनेवाले राजस्व में हुई है. वर्ष 2014-15 में लौह अयस्क से सरकार को वैट के रूप में49.18 करोड़ रुपये मिले थे. इसके मुकाबले 2015-16 में सिर्फ 9.78 करोड़ रुपये ही मिले. लौह अयस्क से राजस्व में गिरावट का मुख्य कारण इसकी खदानों का बंद होना है. राज्य में पहले लौह अयस्क के 42 खदान कार्यरत थे, पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में सरकार ने इसमें से 22 खदानों को बंद कर दिया है. इन खदानों को दिये गये लीज नवीकरण का मामला अभी कानूनी विवादों में उलझा है.
इससे राज्य को भारी नुकसान हो रहा है. लौह अयस्क की खदानों के बंद रहने की वजह से राज्य में लोहे आैर इस्पात का व्यापार भी प्रभावित हुआ. सरकार को इन वस्तुओं की खरीद-बिक्री से मिलनेवाले टैक्स में 12.59 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. वर्ष 2014-15 में इन वस्तुओं की खरीद बिक्री से सरकार को 543.67 करोड़ रुपये टैक्स के रूप में मिले थे, जो 2015-16 में घट कर 475 करोड़ रुपये हो गये. सरकार द्वारा प्लाइवुड और सनमाइका पर लगाये गये टैक्स में छूट दिये जाने की वजह से इन वस्तुओं से मिलनेवाले टैक्स में 4-11 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गयी है. साइकिल व साइकिल पार्ट्स की खरीद बिक्री से मिलनेवाले राजस्व में भी 4.23 प्रतिशत की गिरावट आयी है.